- कल सूरीनाम के राष्ट्रपति सहित बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय आए लेकिन नंदी हाल तक बदबू आती रही
उज्जैन। महाकाल मंदिर के अंदर स्थित कुंड का पानी समय-समय पर बदला जाना चाहिए। इन दिनों उसमें से बदबू आ रही है और कल यही देखने को मिला। महाकालेश्वर मंदिर के सौंदर्यीकरण और महाकाल लोक के तीन चरणों के काम के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन कोटितीर्थ कुंड का जल बदलने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। पानी लंबे समय से नहीं बदला गया है जो अब दुर्गंध मारने लगा है और यहां लगे फव्वारे भी कभी कभी ही चलाए जाते हैं जिससे पानी थमा रहता है और वह दुर्गंध मारने लगा है।
कल भी महाकाल मंदिर में सूरीनाम के राष्ट्रपति सहित बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय पहुंचे थे और मंदिर में प्रवेश करने के साथ सभा मंडप से लेकर नंदीगृह तक कोटितीर्थ के पानी की दुर्गंध उड़ती रही। इसके पहले महाकाल मंदिर के नंदीहॉल में लगा पर्दा भी फटा हुआ था जिसे ताबड़तोड़ बदला गया। वैसे भी प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु महाकाल मंदिर में प्रतिदिन आते हैं और उन्हें भी कोटितीर्थ के पानी की दुर्गंध सहना पड़ती है। महाकाल मंदिर प्रशासन को समय-समय पर कोटितीर्थ कुंड का पानी बदलना चाहिए और प्रतिदिन यहाँ लगे फव्वारे चलाना चाहिए जिससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा मिलती रहे और दुर्गंध न उठे।