नई दिल्ली । कोरोना वायरस के कारण (Due to Corona Virus) पिछले 2 साल से बंद पड़ी (Closed since Last 2 Years) अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) 30 जून से एक बार फिर से शुरू हो रही है (Starting Again from 30th June) । इस यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं (All Devotees) को अपने साथ आधार कार्ड या फिर कोई बायोमेट्रिक वेरीफाइड गवर्नमेंट आईडी कार्ड (Aadhar Card or any Biometric Verified Government ID Card) लाना (To Bring) जरुरी है (Is Necessary) । अमरनाथ यात्रा को लेकर इस बार सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यात्रा के दोनों मार्गों को सेना ने अपने कब्जे में ले लिया और पूरी यात्रा की निगरानी के लिए जीपीएस सक्षम रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन टैग का प्रयोग किया जाएगा जिसके माध्यम से पूरे रास्ते यात्रियों को ट्रैक किया जा सकेगा।
अमरनाथ गुफा तक जाने के लिए मुख्य रूप से दो रास्ते हैं पहला है पारंपरिक रास्ता जो कि जम्मू से पहलगाम होते हुए पवित्र गुफा तक जाता है। इस रास्ते से जाने के लिए सबसे पहले आपको श्रीनगर पहुंचकर गाड़ी से पहलगाम जाना होगा। फिर वहां से चंदनबाड़ी होते हुए पिस्सू टॉप पर पहुंचना होगा, जिसके बाद आपको शेषनाग होते हुए, पंचतरणी और फिर यहां से छह किलोमीटर की दूसरी पर अमरनाथ गुफा स्थित है। यह रास्ता कुल 46 किलोमीटर का है और इसे पूरा करने में करीब 3 दिन का समय लग जाता है। दूसरा रास्ता जम्मू से बालटाल होते हुए अमरनाथ गुफा तक पहुंचता है। यह रास्ता काफी छोटा है और इसे 1 दिन में ही तय किया जा सकता है। बालटाल से पवित्र गुफा तक की दूरी मात्र 14 किलोमीटर है।
अमरनाथ यात्रा जाने वाले दोनों मार्गों पर यात्रियों के लिए खास इंतजाम किया गया है। यात्रियों के रुकने के लिए बालटाल के साथ नुनवान, शेषनाग, पंजतरणी और अमरनाथ गुफा के पास टेंट सिटी लगाई गई है। यहां पर एक साथ 70 हजार से ज्यादा यात्रियों के रुकने का इंतजाम किया गया है। इससे साथ पहलगाम व बालटाल में डीआरडीओ के दो अस्पतालों को बनाया गया है, ताकि यात्रियों को आसानी से चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा सके। इन दोनों अस्पतालों की कुल क्षमता 320 बेड की है।
यात्रा को लेकर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन और आम नागरिक श्रद्धालुओं का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु निश्चित रूप से एक सुखद अनुभव लेकर जाएंगे। स्वास्थ्य से लेकर स्वच्छता तक का विशेष ख्याल रखा गया है। पूरे रास्ते में जगह – जगह शौचालय भी बनाए गए हैं।
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