इंदौर। मुख्यमंत्री के सपनों का शहर… निगम चुनाव में ट्रैफिक सुधारने का वादा… और हकीकत यह है कि यातायात विभाग के पास अपने संसाधन तक नहीं है। विभाग ने चालान बनाने तक के लिए किराए की मशीनें ले रखी हैं, जिसका किराया चुकाने के लिए भोपाल से दनादन चालानी कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि हमने 90 मशीनें बैंकों से किराए पर ले रखी हैं और इनका प्रतिदिन का किराया चुकाने के लिए हर दिन 6 चालान अनिवार्य रूप से बनाए जाएं, यानी एक दिन में कम से कम 540 चालान और 30 दिनों में 17150 चालान बनाने की अनिवार्यता पुलिस मुख्यालय ने तय कर दी… यानी यातायात का सुधार तो गया तेल लेने अब चौराहे-चौराहे पर जमघट लगाकर पुलिस वाहन चालकों को इकट्ठा करेगी और यातायात में बाधा बनते हुए चालानी कार्रवाई से लोगों की जेबें ढीली करेंगी।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जी. जनार्दन द्वारा पुलिस मुख्यालय भोपाल से जिले के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जारी आदेश में कहा गया है कि पीओएस मशीन द्वारा चालानी कार्रवाई में तत्परता से तेजी लाएं, क्योंकि यातायात विभाग ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक आफ महाराष्ट्रा से किराए की चालान बनाने वाली पीओएस मशीनें ली गई हैं, जिनका किराया चुकाने के लिए एक मशीन से हर दिन 6 चालान बनाने जाना अनिवार्य है, ताकि मशीनों का किराया चुकाया जा सके। मुख्यालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि अधिकांश जिलों में पीओएस मशीन से अपेक्षित कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसलिए सभी अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश जारी किया जाए कि वह पीओएस मशीन से औसतन हर दिन 6 चालान बनाएं। इसके साथ ही विभाग ने निर्देश दिया कि प्रत्येक पीओएस मशीन के लिए तीन-तीन अधिकारी नियुक्त कर सभी अधिकारी अपनी-अपनी बीट में चालानी कार्रवाई करवाएं। कार्यभार कम होने के दिनों में अधिक चालान बनाएं, ताकि निर्धारित संख्या में प्रत्येक पीओएस मशीन से चालान बन सके। विभाग ने यह भी निर्देश दिए कि सभी जिले के पुलिस अधीक्षक एवं कमिश्नर सप्ताह में कम्प्यूटर से चालान विवरण की मानीटरिंग कर जिन-जिन इलाकों में कम कार्रवाई हुई है,उनका स्पष्टीकण लेकर कम चालान बनाने वाले अधिकारियों को दंडित करें, ताकि सभी अधिकारी सक्रियता से कार्रवाई करें।
इंदौर में हंै 90 मशीनें… हर दिन अनिवार्य रूप से बनेंगे 540 चालान
पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार एक पीओएस मशीन से हर दिन कम से कम 6 चालान बनाए जाना अनिवार्य है। इंदौर में यातायात विभाग के पास 90 पीओएस मशीनें उपलब्ध हैं। ऐसे में यदि एक मशीन से 6 चालान बनाए गए तो एक दिन में औसतन 540 चालान बनाना अनिवार्य होगा और महीने में इन चालानों की संख्या कम से कम 17150 होगी। इतने चालान तो केवल मशीनों का किराया चुकाने के लिए यातायात पुलिस को बनाया जाना अनिवार्य है। यदि चालानी कार्रवाई से कमाई की मंशा विभाग की हो तो यह तादाद और बढ़ जाएगी, यानी पुलिस के लिए चालानी कार्रवाई यातायात सुधारने का नहीं, बल्कि कमाई और किराया चुकाने का साधन बन जाएगा।
चालान से नहीं सुधरता यातायात… कार्रवाई से बाधक होते हैं मार्ग
पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी किए गए इस तुगलकी आदेश का मंतव्य कदापि यातायात सुधारना नहीं हो सकता। वैसे भी चालान केवल नियम तोडऩे वाले लोगों को सुधारने के लिए लगाया जाने वाला दंड है न कि किराया चुकाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई… पुलिस मुख्यालय ने भले ही चालानी कार्रवाई से यातायात सुधारने का नजरिया बनाया हो, लेकिन हकीकत यह है कि कार्रवाई के दौरान सडक़ों पर भीड़ इकट्ठी करने, वाहन चालकों को रोकने, दस्तावेजों की जांच करने और वाहन चालकों से बहस करने के दौरान सडक़ पर जमा हुई भीड़ यातायात में बाधक बनती है। पुलिस द्वारा यह चालानी कार्रवाई भी मुख्य चौराहों पर की जाती है, जहां यातायात का सर्वाधिक दबाव होता है और वहां भीड़ इकट्ठी करना, कदापि उचित नहीं कहा जा सकता।
कहां से लाएंगे एक मशीन के लिए तीन अधिकारी
पुलिस मुख्यालय के निर्देश में कहा गया है कि प्रत्येक पीओएस मशीन में तीन-तीन अधिकारी रजिस्टर्ड कराकर सभी अधिकारी अपनी बीट मेें चालानी कार्रवाई करें। अब इंदौर जैसे शहर में 90 मशीनें होने के चलते यदि एक मशीन के लिए तीन अधिकारियों की नियुक्ति की गई तो 270 अधिकारी केवल चालानी कार्रवाई के लिए रजिस्टर्ड हो जाएंगे, जिन्हें इस बात का जवाब देना होगा कि उन्होंने पुलिस मुख्यालय के चालानी टारगेट को पूरा किया या नहीं… यदि चालानी टारगेट पूरा नहीं होता है तो ऐसे अधिकारियों पर मुख्यालय ने कार्रवाई तक के निर्देश दिए हैं… अब सवाल यह है कि पुलिस महकमे के पास इतनी तादाद में अधिकारी या जवान ही नहीं है, जिनसे चालानी कराई जा सके।
‘‘पीओएस मशीन से चालान की प्रक्रिया आसान है। डिजिटल के इस दौर में लोगों के साथ ही विभाग के लिए भी आसानी हो, इसके लिए पीओएस मशीन से ही ज्यादा से ज्यादा चालानी कार्रवाई करने के लिए कहा जा रहा है।’’
– महेशचंद जैन, डीसीपी यातायात इंदौर
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