जबलपुर। भारत की ज्ञान परंपरा को उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों का अभिन्न अंग बनाकर आधुनिक ज्ञान-विज्ञान से जोडऩे के उद्देश्य से भारतीय ज्ञान परंपरा विविध संदर्भ विषय पर को मानस भवन में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एक दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। सांसद आशीष दुबे के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस कार्यशाला की अध्यक्षता विधायक अशोक रोहाणी ने की। कार्यशाला का शुभारंभ राज्य समन्वयक डॉ. धीरेन्द्र शुक्ल, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा डॉ. संतोष जाटव, जबलपुर संभाग, जबलपुर नोडल अधिकारी डॉ. मनोज श्रीवास्तव, हिंदी ग्रंथ अकदमी उप संचालक डॉ. रामविकास कुशवाहा ने सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्वलित कर किया। सांसद आशीष दुबे ने कार्यशाला को संबोधित करते हुये कहा कि युवाओं को भारतीय ज्ञान परंपरा का ज्ञान आवश्यक रूप से होना चाहिये।
युवा भारतीय दर्शन की जितनी गहराई पर उतरेंगे वे उतने ही ज्ञान की अनुभूति प्राप्त करेंगे। विधायक श्री अशोक रोहाणी ने अपने अपने उद्बोधन में कहा कि मध्यप्रदेश नई शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का अध्ययन करने से विद्यार्थियों को अनुशासन के साथ-साथ मानवीय मूल्यों का ज्ञान भी प्राप्त होगा। कार्यशाला के प्रारंभ में इसकी संयोजक डॉ. संतोष जाटव ने स्वागत भाषण में अतिथियों का परिचय दिया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राज्य समन्वयक डॉ. धीरेन्द्र शुक्ल द्वारा कार्यशाला की विषय वस्तु प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में बीज वक्ता के रुप में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. भरत मिश्र एवं दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान भोपाल के निदेशक डॉ. मुकेश मिश्र ने भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध संदर्भों पर विस्तार से प्रकाश डाला। संभागस्तरीय कार्यशाला का समापन समारोह शासकीय मोहनलाल हरगोविंददास गृह विज्ञान एवं विज्ञान स्वशासी महिला महाविद्यालय में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरू डॉ. राजेश वर्मा के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। अवसर पर डॉ. चित्रा प्रभात, डॉ.वीरेन्द्र चौरसिया, डॉ. स्मिता पाठक, डॉ. साधना केशरवानी, डॉ. किरण सिंह, डॉ. आभा तिवारी आदि अन्य मौजूद रहे।