• img-fluid

    नवरात्रि के नौ दिनों में प्याज लहसुन खाने की मनाही, जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा

  • April 13, 2021

    नई दिल्ली। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। देशभर के मंदिरों के साथ ही घरों में भी कलश स्थापना करके लोग माता रानी की पूजा अर्चना में लगे हैं। अब अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी। नवरात्रि के दौरान जो लोग व्रत करते हैं वो तो सिर्फ फलाहार या व्रत वाले अनाज का ही सेवन करते हैं। लेकिन जो लोग व्रत नहीं करते हैं वे भी इन नौ दिनों में सात्विक भोजन ही करते हैं और मांसाहार तो दूर भोजन में प्याज लहसुन तक खाना मना होता है। आखिर इसका कारण क्या है, इस बारे में यहां जानें।

    सिर्फ नवरात्रि के दौरान ही नहीं बल्कि किसी भी तरह के व्रत या पूजा पाठ में प्याज लहसुन खाना मना होता है। इसके पीछे क्या कारण है ये जानने से पहले हम आपको बता दें कि आयुर्वेद में भोजन यानी खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है-
    सात्विक : मन की शांति, संयम और पवित्रता जैसे गुण
    राजसिक : जुनून और खुशी जैसे गुण
    तामसिक : अंहकार, क्रोध, जुनून और विनाश जैसे गुण

    प्याज और लहसुन को तामसिक प्रवृत्ति के भोजन के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं जिससे अध्यात्मक के मार्ग पर चलने में बाधा आती है। इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों में जो लोग व्रत नहीं भी कर रहे हैं उन्हें भी राजसिक और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए और केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान देवी की उपासन करने के लिए भक्त को आध्यात्मिक ऊर्जा की जरूरत होती है। लेकिन प्याज और लहसुन जैसी चीजें खाने के बाद शरीर में गर्मी बढ़ती है, जिससे मन में कई प्रकार की इच्छाओं का जन्म होता है और व्यक्ति पूजा पाठ के रास्ते से भटक सकता है। इसके अलावा व्रत के समय दिन में सोना भी मना है, लेकिन प्याज लहसुन जैसी चीजें खाने के बाद शरीर में सुस्ती आती है। यही कारण है नवरात्रि के 9 दिनों में प्याज और लहसुन नहीं खाया जाता है।

    प्याज और लहसुन न खाने के पीछे सबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा राहु केतु से जुड़ी है। समुद्र मंथन से निकले अमृत को, मोहिनी रूप धरे विष्णु भगवान जब देवताओं में बांट रहे थे तभी दो राक्षस राहु और केतू भी वहीं आकर बैठ गए। भगवान ने उन्हें भी देवता समझकर अमृत की बूंदे दे दीं लेकिन तभी उन्हें सूर्य व चंद्रमा ने बताया कि यह दोनों राक्षस हैं। भगवान विष्णु ने तुरंत उन दोनों के सिर धड़ से अलग कर दिए। इस समय तक अमृत उनके गले से नीचे नहीं उतर पाया था और चूंकि उनके शरीरों में अमृत नहीं पहुंचा था, वो उसी समय जमीन पर गिरकर नष्ट हो गए लेकिन राहू और केतु के मुख में अमृत पहुंच चुका था इसलिए दोनों राक्षसो के मुख अमर हो गए।

    भगवान विष्णु द्वारा राहू और केतू के सिर काटे जाने पर उनके कटे सिरों से अमृत की कुछ बूंदे जमीन पर गिर गईं जिनसे प्याज और लहसुन उपजे। चूंकि यह दोनों सब्जियां अमृत की बूंदों से उपजी हैं इसलिए यह बीमारियों और रोगाणुओं को नष्ट करने में अमृत समान होती हैं लेकिन चूंकि राक्षसों के मुख से होकर गिरी हैं इसलिए इनमें तेज गंध होती है और इन्हें अपवित्र माना जाता है और कभी भी भगवान के भोग में इस्तमाल नहीं किया जाता। कहा जाता है कि जो भी प्याज और लहसुन खाता है उनका शरीर राक्षसों के शरीर की भांति मजबूत तो हो जाता है लेकिन साथ ही उनकी बुद्धि और सोच-विचार भी दूषित हो जाते हैं।

    Share:

    सुनी सुनाई: मंगलवार 13 अप्रैल 2021

    Tue Apr 13 , 2021
    आईएएस को चाहिए 30 प्रतिशत यह बड़ी चौंकाने वाली खबर है। अगले एक साल में रिटायर होने वाले एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी को उनके कारनामों के कारण लूप लाईन भेजा गया था, लेकिन लूप लाईन में भी वे जमकर बेटिंग कर रहे हैं। इनके पास शिक्षण संस्थाओं को आर्थिक सहायता देने का काम है। अधिकारी […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    शुक्रवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved