उज्जैन। गणेश उत्सव के बाद 10 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए, जो सर्वपितृ अमावस्या 25 सितम्बर तक चलेंगे। तत्पश्चात नवरात्रि शुरू होगी। अब नए जमाने के साथ श्राद्ध पक्ष में भी नए सामानों की खरीदी को अशुभ नहीं माना जाता है, बल्कि पितरों की खुशी के चलते नए वाहनों, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर अचल सम्पत्तियों की खरीदी-बिक्री भी जारी रहती है। यहां तक कि पंजीयन विभाग की भी कमाई पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा। सितम्बर के 15-16 दिनों में ही करोड़ों रुपए तक का राजस्व स्टाम्प ड्यूटी से अर्जित कर लिया है। फ्लेट, प्लॉट से लेकर कच्ची जमीनों की खरीद फरोख्त और सौदे श्राद्ध पक्ष में भी लगातार हो रहे हैं।
बाजारों में वैसी ही चहल-पहल है। उज्जैन के खान-पान के ठिये तो सदाबहार आबाद रहते ही हैं और अभी तो टॉवर चौपाटी और अन्य बाजार देर रात तक आबाद रहते हैं। बीते कुछ वर्षों से यह मानसिकता भी बदलती है कि श्राद्ध पक्ष में कोई नया काम या खरीदी ना की जाए। बल्कि अब तो यह कहा जाने लगा कि पितरों की खुशी के लिए श्राद्ध पक्ष में भी अगर नए वाहन, कपड़े, सामान खरीदा जाता है तो उससे उन्हें खुशी ही मिलेगी। नतीजतन ऑटो मोबाइल के शोरूम पर श्राद्ध पक्ष में भी पूछ-परख में कोई कमी नहीं है। उलटा चार पहिया वाहनों का तो टोटा पड़ा है और अगली तारीखों, महीनों की बुकिंग व डिलीवरी तय की जा रही है। जो गाडिय़ां उपलब्ध हैं उसे फटाफट खरीदा जा रहा है। आरटीओ के ही आंकड़े बताते हैं कि नए वाहन रजिस्ट्रेशन में कोई अंतर नहीं आया। यही स्थिति पंजीयन विभाग की भी है। जिला पंजीयक के मुताबिक अचल सम्पत्तियों के कारोबार में जो पिछले सालभर से तेजी चल रही है उसका असर अभी भी कायम है और श्राद्ध पक्ष में भी रजिस्ट्रियों की संख्या में कोई विशेष कमी नहीं आई। बमुश्किल 10 से 15 प्रतिशत ही फर्क पड़ा है। सितम्बर के चालू माह में ही करोड़ों रुपए का राजस्व मिल गया है।
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