उज्जैन। कोरोना एवं अन्य कारणों के चलते 2 साल से स्कूली विद्यार्थियों को साइकिल नहीं मिल पाई है। सरकार इस साल साइकिल देना चाहती है लेकिन फंड की कमी है, इसलिए अब फिर से नोटशीट चलाई जा रही है। दो वर्ष पहले सायकिलें बंटी थी। बताया जा रहा है कि सरकार के पास पैसा नहीं है सायकिल बाँटने के लिए। प्रदेश में नौवीं कक्षा में विद्यार्थियों को घर से जाने के लिए सरकार साइकिल मुहैया कराती है लेकिन 2 साल से कोरोना के चलते सरकार ने साइकिल विद्यार्थियों को बाटी नहीं है और आप इस साल विद्यार्थियों को साइकिल बांटना है लेकिन सरकार के पास बजट की कमी है।
प्रदेश में साइकिल बांटने में 200 करोड़ रुपए खर्च होते हैं और सरकार के पास इस मद में इस समय 50 करोड़ रुपये ही है। ऐसे में सरकार असमंजस में पड़ी है कि विद्यार्थियों को साइकिल कैसे दी जाए। अब अधिकारियों ने यह योजना बनाई है कि साइकिल के साढ़े 3 रुपए प्रति छात्र के हिसाब से विद्यार्थियों को बांट दिया जाए लेकिन इसके लिए भी राशि कम पड़ रही है। इसलिए अब फिर से शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने नोटशीट चलाई है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास प्रस्ताव भेजा गया है। वह कुछ दिनों में इस पर निर्णय लेने वाले हैं। अब साइकल इसलिए भी जरूरी हो गई है क्योंकि स्कूल ऑफलाइन खुल गए हैं और संभावना है कि 1 दिसंबर से सभी स्कूल पूरी तरह ऑफलाइन चलने लगेंगे। उज्जैन जिले में भी करीब 4 से 10 हजार से अधिक साइकिल हर वर्ष बाँटी जाती थी लेकिन 2 साल से साइकिल नहीं दी है। ऐसे में अब स्थानीय शिक्षा विभाग भोपाल के आदेश का इंतजार कर रहा है। यहाँ से बजट मिलेगा और इसके बाद साइकिल बांटने का काम शुरू हो पाएगा।
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