नई दिल्ली (Delhi)। भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर (self dependent) बनना चाहता है और कई सेक्टरों में बन भी गया है और कुछ पर बड़ी तेजी से काम चल रहा है। अगर अंतरिक्ष (space) की बात करें तो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आज पूरी दुनिया भारत का लोहा मानती है। हर साल ISRO दुसरे देशों के भी उपग्रह लॉन्च करता है। अब ISRO सूर्य के बारे में जानकारी जुटाने के लिए बड़े अभइयान (campaign) की तैयारी कर रहा है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन ( ISRO) भारत का पहला आत्मनिर्भर मानव मिशन ‘गगनयान’ वर्ष 2024 में लांच करने के लिए तैयार है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निरंतर नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है।
The launch of the first uncrewed Gaganyaan ‘G1’ mission has been preponed from Mid-2024 to Q4 2023!! It will be followed by second uncrewed ‘G2’ mission and Q2 2024 and finally the first human spaceflight mission in Q4 2024! #ISRO #Ggaganyaan pic.twitter.com/HDBt8Ou65V
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) December 22, 2022
फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस (Physical Research Laboratory Department of Space) के डायरेक्टर अनिल भारद्वाज ने भारत के प्लैनेटरी मिशन की बात करते हुए कहा कि 1963 से ही भारत ने अंतरिक्ष में अपना अभियान शुरू कर दिया था। सबसे पहले थुंबा से रॉकेट लॉन्च की गई थी। चार दशक के बाद भारत ने 2008 में चंद्रयान -1 मिशन शुरू किया। इसके बाद अगला था मंगलयान। इसे 2013 में लॉन्च किया गया था जो कि 2014 में मंगल पर पहुंचा था। अब चंद्रयान-2 अभियान चल रहा है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-1 का ऑर्बिटर अब भी अच्छी तरह से काम कर रहा है औऱ हमें बहुत महत्वपूर्ण जानकारी भेज रहा है।
सूर्य का अध्ययन करने के लिए अगले साल भारत आदित्य-L1 लॉन्च करेगा। इसके अलावा चंद्रयान-3 लैंडर रोवर मिशन भी लॉन्च किया जाएगा। इसके अलावा भविष्य के लिए अन्य प्लैनेटरी अभियानों की भी तैयारी हो रही है। इसरो के साइंटफिक सेक्रटरी शांतनु भाटवडेकर ने कहा, अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक मानवता के विकास के लिए होती है। इसका उद्देश्य मानव जीवन को बेहतर बनाना होता है। भारत के पहले एक्सपेरिमेंटल अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटलाइट भास्कर (1979) के बाद से भारत ने कई सैटलाइट मिशन लॉन्च कर चुका है।
उन्होंने कहा कि भारत कई पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है। जंगल काटे जा रहे हैं, मिट्टी प्रदषित हो रही है। जैव विविधता खतरे में है और नदियां कम हो रही हैं। इसलिए सैटलाइट डेटा का इस्तेमाल पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जा रहा है। जलवायु परिवर्तन मानवता के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। ग्लेशियर रिट्रीट और समुद्री जलस्तर में बदलाव का अध्य्ययन भी सैटलाइट मिशन के जरिए किया जा रहा है।
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