उज्जैन। 24 मई को उज्जैन में महर्षि पाणिनी संस्कृत और वैदिक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने दावा किया था कि भारतीय वेदों से विज्ञान की खोज हुई है। अब इस बयान को लेकर प्रतिक्रिया आई है तथा निंदा भी हो रही है। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह के दौरान इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ 24 मई को बतौर चीफ गेस्ट पहुँचे थे। इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने कहा था कि धातु विज्ञान, ज्योतिष, खगोल विज्ञान, वैमानिकी विज्ञान और भौतिक विज्ञान में चीजों को प्राचीन भारत से लिया गया है।
यह ज्ञान अरब के लोग भारत से लेकर गए जहाँ से ये यूरोप पहुँचा बाद में यूरोप के लोग वापस यही ज्ञान हमारे पास ये बातकर लेकर आए कि यह आधुनिक साइंस है। इसरो जुलाई के महीने में चंद्रयान-3 मिशन की शुरुआत करने जा रहा है। इससे पहले चंद्रयान-2 मिशन साल 2019 में विफल रहा था। अगर इसरो इसे सफलता पूर्वक करने में सफल रहा तो वो ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। बीएसएस सोसाइटी की तरफ से जारी किए गए स्टेटमेंट में कहा गया कि इसरो प्रमुख ने चीजों को कुछ ज्यादा ही बढ़ा चढ़ाकर बताया है। निश्चित तौर पर विज्ञान के क्षेत्र में विकास 600 बीसी से 900 एडी के बीच भारत में हुए थे। यह भी सच है कि विकास से जुड़ी घटनाएं मेसोपोटामिया, ग्रीस, मिस्र में भी इसी समयकाल के दौरान या फिर इससे भी पहले हुई इसके बाद अरब के लोगों ने इसमें लीड प्राप्त की और वो इस जानकारी को यूरोप लेकर पहुँचे। बीएसएस सोसाइटी की तरफ से कहा गया कि चर्चा और विज्ञान के आदान प्रदान से यह और विकसित हुई हर स्तर पर पिछले स्तर के मुकाबले हमने कुछ सीखा शोध के आधार पर हमने उन बिंदुओं को पीछे छोड़ दिया जो सही साबित नहीं हुई, कहा गया कि इसरो प्रमुख क्या यह बता सकते हैं कि ऐसी कौन सी तकनीक है जो वेदों से ली गई है जिनका इस्तेमाल इसरो रॉकेट और सैटेलाइट में कर रहा है।
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