डेस्क: इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग को 4 महीने हो गए हैं. हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने अपने डिफेंस सिस्टम का वीडियो शेयर किया. वीडियो के साथ लिखा था, ‘एरो सिस्टम ने इजरायल की ओर लॉन्च किए गए मिसाइल को सफलतापूर्वक रोक दिया है.’ यह एरो सिस्टम इजरायल का सबसे विकसित और सबसे पुराना एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम है. इसकी रेंज 2,400 किलोमीटर है. आइए जानते हैं कि एरो सिस्टम इजरायल के मशहूर आयरन डोम मिसाइल सिस्टम से कितना अलग और पावरफुल है.
इजरायल के आयरन डोम की क्षमता की चर्चा अक्सर होती है. एरो की तरह यह सिस्टम भी इजरायल को निशाना बनाने वाली मिसाइलों को भेदता है. इसका इस्तेमाल सबसे पहले 2011 में किया गया था. हमास के लाॅन्च किए रॉकेटों से बचाने में इसने काफी मदद की है. इजरायली सेना का कहना है कि इसके बिना, हालिया संघर्ष के दौरान मौतों का आंकड़ा कहीं अधिक पहुंच जाता. फिर भी तुलना में एरो डिफेंस सिस्टम आयरन डोम सिस्टम से कहीं ज्यादा पावरफुल है. अब इसकी वजह भी जान लेते हैं.
कितना पावरफुल है एरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम?
एरो वेपन सिस्टम इजरायल का नेशनल बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. इजरायल की एयर फोर्स के लिए डेवलप हुए इस सिस्टम का इस्तेमाल साल 2000 से किया जा रहा है. फिलहाल, इजरायल एरो-3 सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है. एरो-3 की शुरूआत 2017 में हुई थी और यह एरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम का अब तक का सबसे आधुनिक वर्ज़न है. हिजबुल्लाह और हमास जैसे संगठनों की वजह से इजरायल पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है. इसको ध्यान में रखकर एरो-3 सिस्टम को विकसित किया गया जो लाॅन्ग रेंज के खतरों से भी बचाता है और किफायती भी है.
आयरन डोम के मुकाबले एरो-3 सिस्टम लंबी दूरी, ज्यादा ऊंचाई और ज्यादा सटीक बैलिस्टिक मिसाइल हमले में सक्षम है. यह अपनी रेंज में आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को डिटेक्ट और ट्रैक करने से लेकर भेदने तक में सक्षम है. इसे आसानी से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, जिससे खतरे को देखकर सिस्टम को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया जा सकता है.
आयरन डोम में क्या खामियां हैं?
इजरायल का आयरन डोम दुनियाभर में काफी मशहूर है. यह आने वाली मिसाइलों को डिटेक्ट करके उन्हें बीच रास्ते में ही भेद देता है. इसकी इंटरसेप्टर मिसाइलों को तामीर के नाम से जाना जाता है. ये मिसाइल एडवांस गाइडेंस सिस्टम से लैस है ताकि तामीर लक्ष्य पर सटीकता से हमला करके खतरे को हवा में ही भेद पाए.
इजरायल के ऑफिशियल आंकड़ों के मुताबिक, यह 90% तक मिसाइलों को मार गिराने की क्षमता रखता है. यही वजह है कि इसे दुनिया के सबसे बेहतरीन डिफेंस सिस्टम में गिना जाता है. हालांकि, इसकी अपनी कुछ खामियां हैं. आयरन डोम सिस्टम कम दूरी के रॉकेट हमलों को भेदने में ही सक्षम है. लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ यह प्रभावी नहीं है. इसके अलावा, यह एक साथ बड़ी संख्या में हुए हवाई हमले को भेदने में इतना असरदार साबित नहीं हुआ है. दरअसल, इसमें बैटरी होती हैं जिसमें हर एक लाॅन्चर में 20 तामीर को रखने की जगह होती है. इसलिए, 7 अक्टूबर को जब हमास ने इजरायल पर 2 हजार से ज्यादा मिसाइलें दागी थी, तो आयरम डोम उन हमलों को रोकने में इतना प्रभावी साबित नहीं हुआ.
इसके अलावा आयरन डोम एक महंगा सिस्टम है. इसे विकसित करने से लेकर मेंटेन करना काफी खर्चीला होता है. आमतौर पर हमास और हिजबुल्लाह जो रॉकेट दागते हैं उनकी कीमत लगभग 300 डाॅलर प्रति राउंड होती है, जबकि उन्हें भेदने वाली आयरन डोम की एक तामीर मिसाइल की कीमत 50,000 डाॅलर के आसपास होती है.
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