बेरूत। इजरायली सेना (Israeli Army) का गाजा के साथ लेबनान में भी भीषण हमला बदस्तूर जारी है। पूर्वी और दक्षिणी लेबनान (Eastern and Southern Lebanon) को निशाना बनाकर इज़रायली लड़ाकू विमानों ने हवाई हमलों में कम से कम छह लोगों को मार डाला। अटैक में 28 अन्य बुरी तरह घायल हो गए। राजधानी बेरूत समेत कई शहरों पर इजरायली हमलों का खतरा लगातार बना हुआ है। ऐसे में लेबनान ने अमेरिका और फ्रांस की शरण ली है। लेबनान के राष्ट्रपति ने दोनों देशों से देशवासियों की सुरक्षा की मांग की है। लेबनान का आरोप है कि इजरायली हमलों में बेकसूरों की जान जा रही है।
लेबनान के शीर्ष नेता बेरूत पर संभावित इजरायली हमले को रोकने के लिए अमेरिका और फ्रांस से लगातार संपर्क में हैं। एक वरिष्ठ लेबनानी अधिकारी के अनुसार, इजरायल की ओर से शनिवार सुबह किए गए हमलों के जवाब में यह कूटनीतिक प्रयास तेज़ कर दिए गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की कोशिशें
अमेरिका, फ्रांस और संयुक्त राष्ट्र युद्धविराम निगरानी तंत्र का हिस्सा हैं और इनसे उम्मीद की जा रही है कि वे इज़रायल को बेरूत पर बड़े हमले से रोक सकते हैं। प्रधानमंत्री नवाफ़ सलाम ने सुरक्षा नियंत्रण को लेकर ज़ोर दिया और यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी कोई घटना दोबारा न हो।
हमले की ज़िम्मेदारी किसी ने नहीं ली
यहां गौर करने वाली बात है कि अब तक किसी भी संगठन ने इज़रायल पर हुए रॉकेट हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है। लेबनान के एक सैन्य सूत्र के अनुसार, ये रॉकेट लिटानी नदी के उत्तर में क़फर तेबनित और अरनून गांवों से दागे गए थे, जो युद्धविराम समझौते के तहत आने वाले क्षेत्र में हैं।
हिज़बुल्लाह की आगे की राह
गौरतलब है कि युद्धविराम से पहले इज़रायली हमले हिज़बुल्लाह के गढ़ दक्षिण बेरूत को निशाना बना रहे थे, लेकिन कई बार राजधानी के अन्य हिस्सों में भी बमबारी हुई। ऐसे में, लेबनान की सरकार अब अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाकर इज़रायल को किसी भी बड़े हमले से रोकने की कोशिश कर रही है। आने वाले दिनों में इस राजनयिक प्रयास का क्या नतीजा निकलेगा, यह देखना अहम होगा।
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