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ईरान में अब इजरायल लाएगा तबाही, ट्रंप ने दी नेतन्याहू को खुली छूट

  • March 23, 2025

    डेस्क: यमन में ईरान के प्रॉक्सी हूती विद्रोहियों पर अमेरिकी हमले के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. कुछ का मानना है कि अमेरिका मिडिल ईस्ट में लगी शांत करने की कोशिश में लगा हुआ है, तो कुछ का मानना है कि अमेरिका ईरान को सबक सिखाना चाहता है. हूती विद्रोही लंबे समय से लाल सागर में शिपिंग और इजरायल पर हमले कर रहे हैं, जिसके जवाब में अमेरिका ने यमन में भारी बमबारी की है.

    विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की रणनीति केवल यमन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका दायरा कहीं अधिक बड़ा है. कई रणनीतिकारों ने अमेरिका के इस कदम को डोनाल्ड ट्रंप की तात्कालिक और अव्यवस्थित विदेश नीति करार दिया है. वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन का असली मकसद ईरान को परमाणु समझौते के लिए मजबूर करना है. इसके लिए अमेरिका इजरायल को हमलों की खुली छूट देने के साथ-साथ यमन, सीरिया और लेबनान में भी आक्रामक कदम उठा रहा है.

    डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इजरायल को ईरानी ठिकानों पर हमले की खुली छूट दे दी है, जो अब तक किसी भी अमेरिकी प्रशासन ने नहीं किया था. इसके अलावा, जब इजरायल ने सीजफायर तोड़ते हुए गाजा पर दोबारा बमबारी शुरू की, तो ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर से बेंजामिन नेतन्याहू का समर्थन किया. इसका स्पष्ट उद्देश्य ईरान पर दबाव बनाना और उसके प्रॉक्सी संगठनों को कमजोर करके उसे घुटनों पर लाने की रणनीति अपनाना है.


    अमेरिका ने 15 मार्च से यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं. इन हमलों का मुख्य उद्देश्य लाल सागर में शिपिंग कंटेनरों और इजरायल पर होने वाले हमलों को रोकना है. अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘जब हूती हमले बंद कर देंगे, तो हमारी कार्रवाई भी रुक जाएगी.’ हालांकि अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि हूती विद्रोहियों के पीछे ईरान का हाथ है, जो उन्हें धन और प्रशिक्षण प्रदान करता है. खुद डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि हूतियों के हमले नहीं रुके, तो ईरान को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. ट्रंप की यह रणनीति ईरान को परमाणु समझौते के लिए मजबूर करने का हिस्सा मानी जा रही है. हालांकि, अमेरिकी हमलों के बावजूद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने झुकने से इनकार कर दिया और ट्रंप के परमाणु समझौते पर बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

    यमन में हूती विद्रोहियों पर अमेरिकी हमलों ने ट्रंप की उस चेतावनी को सही साबित किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को नहीं रोकता और परमाणु हथियार बनाने की कगार पर पहुंचता है, तो अमेरिका और इजरायल उसके परमाणु स्थलों पर विनाशकारी हमले कर सकते हैं. ट्रंप प्रशासन ने इजरायल के साथ संयुक्त हवाई अभ्यास करके एक और कड़ा संदेश दिया है. इस सैन्य अभ्यास में अमेरिकी B-52 बमवर्षक विमानों ने हिस्सा लिया, जो ईरान की गहराई में स्थित भूमिगत परमाणु ठिकानों को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं. साथ ही इजरायली F-15I और F-35I लड़ाकू विमानों ने भी इसमें भाग लिया, जो साफ तौर पर ईरान पर संभावित हमले का पूर्वाभ्यास माना जा रहा है.

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