तेल अवीव। ईरान के तेजी से बढ़ते परमाणु बम प्रोग्राम से इजरायल समेत अधिकतर खाड़ी देश परेशान है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तो यहां तक कहा था कि उनका देश तेहरान को परमाणु हथियारों तक पहुंच से रोकने के लिए सबकुछ करेगा। जिसके बाद इजरायल की पहल पर ईरान विरोधी सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बहरीन एक साथ मिलकर डिफेंस अलायंस बनाने जा रहे हैं।
इजरायल के साथ जारी तनाव के बीच ईरान तेजी से परमाणु हथियारों में प्रयोग किए जाने वाले यूरेनियम को बना रहा है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने अपनी एक गोपनीय रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान ने नैटांज के यूरेनियम संवर्धन केंद्र में उन्नत IR-2m सेंट्रीफ्यूज के तीन और क्लस्टर स्थापित किया है। किसी भी हवाई बमबारी का सामना करने के लिए इस क्लस्टर को स्पष्ट रूप से भूमिगत बनाया गया है। कुछ महीने पहले ही ईरान के परमाणु संयंत्र पर इजरायली विमानों ने हमला किया था। इसी डर से ईरान अब अपने सभी सामरिक ठिकानों को जमीन के अंदर बना रहा है।
ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में कहा गया है कि तेहरान केवल पहली पीढ़ी के IR-1 सेंट्रीफ्यूज का उपयोग कर सकता है। यह सेंट्रीफ्यूजयूरेनियम को बहुत धीरे-धीरे परिष्कृत करता है। वर्तमान में जिस IR-2m सेंट्रीफ्यूज को स्थापित किया गया है वह तेजी से यूरेनियम को परिष्कृत करता है। आईएईए ने चिंता जताते हुए कहा है कि इससे ईरान बड़ी मात्रा में परमाणु बम बनाने के लिए यूरेनियम को जमा कर सकता है।
इजरायल की स्थापना के बाद लंबे समय तक खाड़ी के देशों ने इसे न तो मान्यता दी और न ही इस देश के अस्तित्व को स्वीकारा। यहां तक कि कई बार इजरायल को अपने दुश्मन देशों की संयुक्त सेना के साथ युद्ध तक लड़ना पड़ा। इसमें 1967 में हुआ 6 डे वॉर (अरब इजरायल युद्ध) सबसे प्रसिद्ध है, जिसमें इजरायल ने 6 दिनों में ही मिस्र, सीरिया, जॉर्डन की सेनाओं को हर दिया था। इस युद्ध में लेबनान और पाकिस्तान ने भी अरब देशों को रक्षा सहयोग मुहैया कराए थे।
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