नई दिल्ली। इजरायल-ईरान (Israel-Iran) के बीच बढ़ती तनातनी और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के लंबा खिंचने से विशेषज्ञ चिंतित हैं कि दुनिया के दो हिस्सों में चल रहा संघर्ष तीसरे विश्वयुद्ध (Third World War) में न बदल जाए। इसके बीच आर्थिक रूप से कई बड़े उलटफेर वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global economy) में होते दिखाई दे रहे हैं। अगर यह आशंका सच होती है तो भारत पर भी इसका असर पड़ सकता है। यहां नौकरीपेशा से लेकर आम आदमी को इसकी कीमत चुकानी होगी। हालांकि, सरकार इस संकट से निपटने के लिए कई स्तरों पर पुख्ता इंतजार करने में लगी है।
अनिश्चितता बढ़ी : जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर एवं अर्थशास्त्री अरुण कुमार कहते हैं कि मौजूदा वक्त में अनिश्चितता काफी बढ़ गई है, इसलिए अगर युद्ध हुआ तो भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर दिखाई देगा। महंगाई बढ़ेगी और मांग में भी कमी आएगी, जिससे संगठित क्षेत्र भी प्रभावित होगा। कंपनियां अपने यहां छंटनी करेंगी, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी। इसके साथ ही कई अन्य क्षेत्र इसके प्रभाव से अछूते नहीं रहेंगे।
युद्ध का क्या पड़ेगा प्रभाव और अभी क्या पड़ रहा असर
– पेट्रोल, डीजल, सीएनजी से लेकर घरों में इस्तेमाल होने वाली सिलेंडर एवं पीएनजी गैस की कीमतों में बढ़ोतरी होगी
– परिवहन लागत में भी बढ़ेगी, जिसका भार रोटी-कपड़े से लेकर मकान तक पड़ेगा
– विदेशों से आयात व निर्यात करना भी महंगा होगा।
– भारत दालें बड़ी मात्रा में आयात करता है, जो महंगी हो जाएंगी।
– मोबाइल, इंजीनियरिंग गु्ड्स, फार्मा से लेकर कृषि से जुड़े उत्पादों का निर्यात भी महंगा होगा।
– डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट आ रही है। एक डॉलर की कीमत 84 रुपये के पार निकल गई है।
– प्रमुख ब्याज दरों में कटौती टल सकती है, आरबीआई ने छह बार से रेपो दर को 6.5 पर बरकरार रखा है।
– अक्टूबर में शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई है। सेंसेक्स अपने सर्वोच्च शिखर से छह हजार अंक टूटकर दो माह के निचले स्तर पर आ चुका है।
– विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों से लगातार पैसा निकल रहे हैं। अक्तूबर में ही 90 हजार करोड़ से अधिक रकम निकाल चुके हैं।
– कई बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद के अनुरूप नहीं रहे हैं, जो एक वित्तीय संकट की तरफ इशारा करते हैं।
– निवेशक सुरक्षित जगहों पर पैसा लगा रहे हैं, जिससे सोने-चांदी के दाम उछले हैं।
नौकरीपेशा के लिए ऐसे बढ़ेगी चिंता
आर्थिक हालात बदले तो नौकरीपेशा लोगों को भी परेशानी होगी। उन्हें वेतन बढ़ोतरी से लेकर प्रमोशन पाने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। साथ ही रियल एस्टेट से लेकर बैंकिंग क्षेत्र भी प्रभावित होगा। ऑटो और सेवा क्षेत्र में भी व्यापक असर पड़ सकता है।
कच्चा तेल चढ़ा तो महंगाई में आएगा तेज उछाल
मौजूदा वक्त में भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल रूस और मध्य-पूर्व स्थित खाड़ी देशों से खरीदता है। अगर युद्ध हुआ तो कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आएगा। फियो के महानिदेशक एवं सीईओ डॉ. अजय सहाय कहते हैं कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 10 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ती है तो इससे भारत में आधा फीसदी तक महंगाई बढ़ जाती है। ईरान द्वारा इजरायल पर रॉकेट दागे जाने के बाद कच्चे तेल की कीमतें 74 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से पार पहुंच गई थीं। फिलहाल 70 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved