नई दिल्ली । गाजा (Gaza)में फिर से युद्ध शुरू कर चुके इजरायली प्रधानमंत्री (israeli prime minister)बेंजामिन नेतन्याहू (benjamin netanyahu)की घरेलू स्तर (Household level)पर पकड़ कमजोर होती जा रही है। बेंजामिन नेतन्याहू के फैसलों के खिलाफ शनिवार को राजधानी तेल अवीव में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। दरअसल, नेतन्याहू ने हाल ही में घरेलू खुफिया विभाग शिन बेट के प्रमुख रोनेन बार को बर्खास्त करने का फैसला किया था उनके इस फैसले को कई लोग राजनीति से प्रेरित मान रहे हैं, दूसरी तरफ प्रदर्शन कर रहे लोग गाजा में फिर से शुरू की गई जंग को लेकर भी खुश नहीं है। उनका मानना है कि एक बेहतर संघर्ष विराम लागू होना चाहिए, जिससे सभी बंधकों को छुड़ाया जा सके। इन दो फैसलों की वजह से तेल अवीव में हजारों लोग सड़कों पर हैं।
इजरायली प्रधानमंत्री ने इस हफ्ते की शुरुआत में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि 2021 से शिन बेट का नेतृत्व कर रहे रोनेन बार पर अब उन्हें भरोसा नहीं रहा है। इसी वजह से 10 अप्रैल को उनको बर्खास्त कर दिया जाएगा। नेतन्याहू के इस फैसले के बाद से ही लोग प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर आ गए। नेतन्याहू के बयान के बाद इजरायली सुप्रीम कोर्ट भी हरकत में आया और उसने बर्खास्तगी पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी।
नेतन्याहू के आलोचकों का आरोप है कि इन फैसलों के जरिए नेतन्याहू में सत्ता में रहने के नए रास्ते ढूंढ़ रहे हैं। वह लगातार इजरायली लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं। हालांकि नेतन्याहू ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक नेतन्याहू भले ही इन आरोपों को खारिज कर दें लेकिन प्रदर्शनकारियों का उनको लेकर गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। तेल अवीव के हबीमा स्क्वायर में प्रदर्शनकारियों ने नीले और सफेद रंग के इजरायली झंडे लेकर गाजा में एक समझौते की भी मांग की, जिससे शेष इजरायली बंधकों को शांतिपूर्वक तरीके से रिहा किया जा सके।
इस दौरान एक 63 वर्षीय प्रदर्शनकारी मोशे हाहारोनी ने कहा कि इजरायल का सबसे बड़ा दुश्मन बेंजामिन नेतन्याहू ही है। वह 20 साल से सत्ता में हैं न तो वह देश की परवाह करते हैं न ही वह यहां के नागरिकों की परवाह करते हैं।
44 वर्षीय प्रदर्शन कारी एरेज बर्मन ने कहा कि गाजा में भयंकर लड़ाई को डेढ़ साल से ज्यादा समय बीत चुका है। लेकिन वहां पर हमास अभी भी सत्ता में हैं…. और तो और उसके पास अभी भी हजारों लडाके हैं। इसका मतलब तो यही हुआ कि इजरायली सरकार अपना लक्ष्य हासिल करने में असफल रही है।
आपको बता दें कि गाजा में इजरायल के अभियान के फिर से शुरू होने के साथ, 59 बंधकों का भाग्य अस्पष्ट बना हुआ है, जिनमें से 24 के अभी भी जीवित होने का अनुमान है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि युद्ध में वापसी से या तो उन्हें उनके अपहरणकर्ताओं द्वारा मार दिया जा सकता है या फिर इजरायली बमबारी से दुर्घटनावश उनकी मृत्यु हो सकती है।
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