नई दिल्ली (New Dehli)। इजरायल (Israel) और हमास के बीच चार दिनों (days) से युद्ध जारी है। आंकड़े (figures)बता रहे हैं कि अब तक 4 हजार से ज्यादा लोगों को मौत (death to people)हो चुकी है। इसी बीच इजरायल (Israel) ने साफ कर दिया है कि हमास से गाजा छीन लिया गया है। इधर, ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस समेत दुनिया के कई बड़े देश इजरायल के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं।
बताया जा रहा है कि इजरायल में मरने वालों की संख्या बढ़कर 900 के पार पहुंच गई है। जबकि, गाजा के अधिकारियों ने अब तक 765 मौतों का दावा किया है। खबर है कि हमास ने किब्बूट्ज में ही 100 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। शनिवार को हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागे थे।
इस संघर्ष में अमेरिका के भी 11 नागरिकों की मौत हो चुकी है। साथ ही ब्राजील, कंबोडिया, कनाडा, आयरलैंड, मैक्सिको, नेपाल, पनामा, पैराग्वे, रूस, श्रीलंका, थाईलैंड और यूक्रेन के भी कुछ नागरिक जान गंवा चुके हैं। हमास ने हमले के बाद से ही करीब 150 लोगों को बंधक बना रखा है। सोमवार को ही हमास ने चेतावनी दी है कि अगर इजरायल बगैर चेतावनी के गाजा पर हमला करता है, तो वे बंधकों को मारना शुरू कर देंगे।
इजरायल के साथ आए ये देश
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इजराइल में जारी संघर्ष पर चर्चा के लिए अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और इटली के नेताओं से बात की है। इसके कुछ समय बाद सुनक उत्तरी लंदन के एक यहूदी उपासनागृह में आयोजित प्रार्थना में शामिल हुए और देश के यहूदी समुदाय को आश्वस्त किया कि वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली के नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा, ‘हम स्पष्ट करते हैं कि हमास की आतंकवादी कार्रवाइयों का कोई औचित्य नहीं है और इसकी सार्वभौमिक रूप से निंदा की जानी चाहिए। आतंकवाद का कभी कोई औचित्य नहीं होता।’
बयान में कहा गया, ‘हमारे देश इस तरह के अत्याचारों के खिलाफ अपनी और अपने लोगों की रक्षा करने के प्रयासों में इजराइल का समर्थन करेंगे। हम इस बात पर भी जोर देते हैं कि इजराइल के प्रति शत्रुता का भाव रखने वाले किसी भी संगठन के लिए यह समय इन हमलों का लाभ उठाने का नहीं है।’
गाजा पर पूर्ण नियंत्रण
सोमवार को ही इजरायल ने गाजा पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया था। इसके बाद वहां पहुंचने वाली भोजन सामग्री, जल, बिजली और जरूरी चीजों की आपूर्ति पर रोक लगा दी है। संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल के इस फैसले पर चिंता जाहिर की है। कहा जा रहा है कि जारी संघर्ष के बीच 1 लाख 87 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं।
साल 1967 में 8 देशों से सिर्फ 6 दिन में ही जंग जीत ली थी इजरायल ने…
– 27 मई, 1967 को इजिप्ट के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल नासिर ने घोषणा की थी कि अब अरब के लोग इजरायल का विनाश करना चाहते हैं।
– मई के अंत में इजिप्ट और जॉर्डन के बीच एक समझौता हुआ था कि अगर इजरायल द्वारा एक मुल्क पर हमला हुआ, तो दूसरा मुल्क उसका साथ देगा।
– जून में इजरायल-इजिप्ट सीमा पर युद्ध शुरू हो गया था और जल्द ही ये कई और अरब मुल्कों तक फैल गया।
– इजरायल और इजिप्ट के बीच लड़े गए इस युद्ध में इजरायल के खिलाफ जॉर्डन, इजिप्ट, इराक, कुवैत, सीरिया, सऊदी अरब, सूडान और अल्जीरिया जैसे देश शामिल हो गए थे।
– इस युद्ध को ‘जून वॉर’ के नाम से भी जाना जाता है। इजरायल पर हमला करने के लिए इन देशों ने जॉर्डन में अपना आर्मी बेस बनाया था। ये देश इजरायल पर अटैक करते कि इससे पहले ही 5 जून को इजरायली एयरफोर्स ने इजिप्ट के तकरीबन 400 फाइटर जेट्स जमीन पर ही उड़ा दिए थे। इससे दुश्मन देश घबरा गए थे और जंग सिर्फ 6 दिन में ही खत्म हो गई थी।
इजरायल ने क्यों पहले किया हमला
– इजरायल का मानना था कि अगर उसे जीतना है तो पहले ही हमला करना होगा। इसी मकसद से इजरायल ने जॉर्डन के आर्मी बेस पर मौजूद लड़ाकू विमानों पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए थे।
– इजरायली हमले के फौरन बाद इजरायल की सीमा पर अरब मुल्कों की फौजों का जमावड़ा शुरू हो गया था। लेकिन जमीनी लड़ाई में भी इजरायली फौजों ने न केवल इन्हें शिकस्त दी, बल्कि गाजा पट्टी भी अपने कब्जे में कर ली थी।
इजरायल के करीब 1 हजार सैनिक मारे गए थे
इस युद्ध में इजरायल के करीब एक हजार सैनिक मारे गए, जबकि साढ़े चार हजार घायल हुए। कई इजरायली सैनिकों को बंधक भी बनाया गया।
वहीं, अरब देशों में मौत की संख्या और ज्यादा थी। इस युद्ध में अकेले इजिप्ट के ही करीब 15 हजार सैनिक मारे गए थे, जबकि साढ़े चार हजार के करीब सैनिकों को बंधक बना लिया गया था। इसके अलावा जॉर्डन के 6 हजार और सीरिया के करीब एक हजार सैनिक मारे गए थे।
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