वॉशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा है कि इस्राइल-हमास युद्ध की वजह से मानवीय संकट गहरा रहा है और यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसमें रमजान के महीने में इस्राइल और हमास के बीच युद्धविराम की मांग की गई है। भारत ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है और कहा है कि यह एक सकारात्मक कदम है।
युद्ध को लेकर भारत ने जताई चिंता
प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि गाजा में जारी युद्ध को लेकर हम बेहद चिंतित हैं। इससे क्षेत्र में मानवीय संकट बढ़ रहा है और पूरे क्षेत्र में अस्थिरता आ रही है। उन्होंने कहा कि इस्राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष से बड़े पैमाने पर लोगों की जान गई है, खासकर महिलाओं और बच्चों की। मानवीय संकट स्वीकार्य नहीं है। कंबोज ने कहा कि नई दिल्ली संघर्ष में आम नागरिकों की मौतों की कड़ी निंदा करती है और किसी भी संघर्ष में लोगों की जिंदगियां बचाना बेहद मुश्किल होता है।
‘आतंकी हमले को सही नहीं ठहराया जा सकता’
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 25 मार्च को इस्राइल हमास के बीच संघर्ष विराम की मांग को लेकर प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव में सभी बंधकों की रिहाई की भी मांग की गई, साथ ही गाजा में लोगों को दवाओं और अन्य मानवीय मदद पहुंचाई जाए। इस्राइल हमास युद्ध को करीब छह महीने का समय बीत चुका है और अगर दोनों पक्षों में युद्धविराम होता है तो यह बेहद अहम होगा। 15 देशों वाली परिषद के 10 चयनित सदस्यों ने यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव पेश किया, जिसका 14 देशों ने समर्थन किया और किसी ने भी विरोध नहीं किया। अमेरिका ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं की। कंबोज ने कहा कि ‘आतंकी हमले को बिल्कुल भी सही नहीं ठहराया जा सकता और 7 अक्तूबर को इस्राइल पर हुआ हमला स्तब्ध करने वाला और कड़ा निंदनीय है।’ कंबोज ने सभी बंधकों को बिना किसी शर्त के तुरंत रिहा करने की भी बात कही। कंबोज ने क्षेत्र में शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की भी सराहना की।
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