डेस्क: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के आतंकवादियों के खिलाफ अब आर-पार का बिगुल फूंक दिया है. इजराइल ने वॉर कैबिनेट का गठन कर हमास के खतरे से निपटने की मुहिम छेड़ दी है. हमास से लड़ाई में बेंजामिन नेतन्याहू को पूर्व रक्षा प्रमुख और विपक्षी दल के नेता बेनी गैंट्ज का भी साथ मिला है. यानी हालात को देखते हुए इजराइल में सभी दल एक आपातकालीन सरकार बनाने पर सहमत हो गए हैं. सभी नेताओं ने मिलकर हमास के खात्मे का प्रण लिया है.
बेंजामिन नेतन्याहू और बेनी गैंट्ज की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान आया है, जिसमें कहा गया है – आज की बैठक के बाद दोनों ने एक आपातकालीन सरकार और वॉर कैबिनेट बनाने के प्रस्ताव पर दस्तखत किये हैं. इसके बाद नेशनल यूनिटी पार्टी के नेता बेनी गैंट्ज ने सोशल मीडिया पर लिखा- किसी भी चीज से पहले इजराइल का हित है. वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इटमार बेन-गविर ने लिखा- इस एकता का हम स्वागत करते हैं, अब हमें जीतना होगा.
क्या होती है वॉर कैबिनेट?
आमतौर पर किसी भी देश में विदेशी हमले से निपटने के लिए वॉर कैबिनेट का गठन किया जाता है. वॉर कैबिनेट मूल रूप से एक अस्थाई मंत्रिमंडल का नाम है, जिसका मकसद युद्ध का कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से संचालन करना होता है. इसके तहत दुश्मनों को खत्म करने की रणनीति तैयार की जाती है. इसमें आमतौर पर किसी भी देश के सभी राजनीतिक दलों का सहयोग होता है. देश की संप्रभुता की रक्षा उनका ध्येय होता है.
वॉर कैबिनेट में देश के प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के अलावा विपक्षी राजनेता भी सदस्य होते हैं. इजराइल के तीन सदस्यीय वॉर कैबिनेट में नेतन्याहू, गैंट्ज और रक्षा मंत्री योव गैलेंट हैं. तीनों ने इजराइल की रक्षा के लिए एकजुटता दिखाई है और हमास को करारा जवाब देने का संकल्प लिया है. यह इसलिए ज्यादा अहम हो जाता है क्योंकि इजराइल में सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे के प्रति गहरी शत्रुता रखते हैं.
कैसे काम करती है वॉर कैबिनेट?
खतरनाक हालात को देखते हुए वॉर कैबिनेट के सदस्य समय-समय आपात बैठक के लिए अलर्ट रहते हैं और युद्ध में जीत की रणनीति बनाते हैं. यह एक प्रकार की आपातकालीन सरकार होती है, इसमें किसी एक ही दल की सत्ता नहीं होती. आतंकवाद या दुश्मन के हमले के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए व्यापक राष्ट्रीय सहमति दी जाती है.
इजराइल के वॉर कैबिनेट में दो सबसे मजबूत व्यक्ति शामिल हैं, जो सैन्य रणनीतियों के मामले में विशेषज्ञ हैं. इनका नाम गैंट्ज और ईसेनकोट हैं. वॉर कैबिनेट के गठन में इस बात पर सहमति जताई गई है कि देश में फिलहाल कोई भी ऐसा कानून या सरकारी संकल्प आगे नहीं बढ़ाया जाएगा जो युद्ध से संबंधित नहीं है. सारा फोकस हमास से युद्ध पर होगा.
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