डेस्क: इजरायल (Israel) का एक प्रमुख अस्पताल सोमवार से 150 कर्मचारियों को कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) की चौथी डोज (Fourth Dose) देना शुरू करेगा. इसका मकसद ये पता लगाना है कि क्या दूसरा बूस्टर डोज (Booster Dose) देशभर में जरूरी है. राजधानी तेल अवीव (Tel Aviv) के पास शेबा मेडिकल सेंटर (Sheba Medical Center) ने कहा कि इसका ट्रायल चौथी डोज के कारगर होने पर प्रकाश डालेगा. इसके जरिए चौथी डोज पर फैसला करने वाले इजरायल और विदेशों में मौजूद स्वास्थ्य विभाग को निर्णय लेने में मदद मिलेगी.
इजरायल ने तेजी से फैलने वाले कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के 1,118 मामलों के सामने आने की जानकारी दी है. इसके अलावा, देश में हर रोज संक्रमितों की संख्या दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञों के एक पैनल ने 60 साल और उससे अधिक उम्र के इजरायलियों को फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन की चौथी डोज देने की सिफारिश की है. इस आयु वर्ग के लोगों को कम से कम चार महीने पहले बूस्टर डोज दी गई थी. लेकिन मंत्रालय के महानिदेशक द्वारा अंतिम मंजूरी अभी भी सार्वजनिक बहस के बीच लंबित है कि क्या एक नए बूस्टर अभियान को सही ठहराने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध है.
चौथे डोज को लेकर की जा रही है स्टडी
वहीं, शेबा मेडिकल सेंटर ने ये नहीं बताया है कि इसका ट्रायल कितने दिनों तक चलने वाला है. इस स्टडी के निदेशक गिली रेगेव-योचय ने कहा, हम एंटीबॉडी और मोर्बिडिटी के स्तर पर चौथी डोज के प्रभाव की जांच करेंगे. इसके अलावा, वैक्सीन की चौथी डोज की सुरक्षा का आकलन भी किया जाएगा. उन्होंने कहा, हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि क्या चौथी डोज देना उचित है और किन लोगों को इसे दिया जाना चाहिए. इस ट्रायल में 150 शीबा मेडिकल वर्कर्स हिस्सा ले रहे हैं. इनके बारे में अस्पताल ने कहा है कि उन्हें बूस्टर डोज लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी मिली थी.
वायरस के बदले स्वरूप की वजह से लगाई जा रही है बूस्टर डोज
गौरतलब है कि दो वैक्सीन डोज लगवाने पर लोगों को फुली वैक्सीनेटेड माना जाता है. इसके अलावा, अधिक इम्युनिटी के लिए लोगों को बूस्टर डोज यानी कि वैक्सीन की तीसरी डोज लगाई जा रही है. इजरायल उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां पर लोगों को बूस्टर डोज लगाई गई है. इसके अलावा, अब दूसरे बूस्टर डोज यानी कि चौथी वैक्सीन डोज लगाने की तैयारी हो रही है. इसके पीछे की वजह मुख्य रूप से वायरस का बदलता स्वरूप है. कोरोना के अभी तक कई वेरिएंट्स सामने आ चुके हैं, जिसमें अल्फा, बीटा, डेल्टा जैसे वेरिएंट्स भी शामिल रहे हैं. डेल्टा की वजह से दुनियाभर में कोविड केस बढ़े थे.
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