रियाद: इस्लामिक कैलेंडर (islamic calendar) की शुरुआत मुहर्रम (Muharram) महीने के पहले दिन के साथ होती है, इसे हिजरी कैलेंडर (Hijri Calendar) के रूप में जाना जाता है। मुहर्रम महीने का पहला दिन इस्लामिक नए साल की शुरुआत होती है। इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा (moon) के चरणों पर आधारित है, इसलिए मुहर्रम की तारीखें हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर में अलग होती हैं। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सिंगापुर, इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे दक्षिण एशियाई देशों में आमतौर पर सऊदी अरब, यूएई, ओमान, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा से एक दिन बाद चांद दिखता है। मुहर्रम का महीना दुनियाभर के मुसलमानों के लिए धार्मिक रूप से ऐतिहासिक महत्व रखता है।
सऊदी अरब ने मुहर्रम के पहले दिन की घोषणा कर दी है। शुक्रवार शाम यानी 05 जुलाई, 2024 को सऊदी अरब में मुहर्रम का चांद नहीं देखा गया। ऐसे में सऊदी अरब में अधिकारियों ने घोषणा की है कि 6 जुलाई की शाम चांद दिखेगा और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 07 जुलाई, 2024 को सऊदी अरब में मुहर्रम का पहला दिन होगा। ये इस्लामी नव वर्ष की भी शुरुआत होगी।
भारत में मुहर्रम कब शुरू होगा
सऊदी अरब 07 जुलाई, 2024 को इस्लामिक नव वर्ष का पहला दिन मनाएगा। भारत में रविवार शाम को मुहर्रम के महीने का चांद दिखेगा। 07 जुलाई इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने जिलहिज्जा 1445 का आखिरी दिन होगा। भारत में इस्लामी नया साल 1446 08 जुलाई 2024 को शुरू होगा। इस्लामी नव वर्ष के पहले महीने मुहर्रम शब्द का अर्थ है ‘अनुमति नहीं होना’ या ‘निषिद्ध’। मुहर्रम मुसलमानों के लिए शोक और चिंतन का महीना होता है। मुहर्रम में ही इमाम हुसैन और उनके साथियों ने जान का बलिदान दिया था। ऐसे में मुहर्रम पर मुसलमान न्याय, बहादुरी और उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होने के उनके उसूलों को याद करते हैं।
खलीफा उमर ने 638 ई.पू. में इस्लामिक कैलेंडर स्थापित किया था, ये कैलेंडर हिजरी युग पर आधारित समय को चिह्नित करता है। यह युग पैगंबर मुहम्मद के मदीना प्रवास के साथ शुरू हुआ, जो इस्लामी इतिहास में एक निर्णायक क्षण था। ग्रेगोरियन कैलेंडर के विपरीत, इस्लामिक कैलेंडर चंद्र चक्र का अनुसरण करते हुए हर महीने नए चंद्रमा के दर्शन के साथ शुरू होता है।
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