उज्जैन। आज से ठीक एक सप्ताह बाद बुधवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनेगा लेकिन इस बार इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी नहीं मन पाएगी। इसके पीछे कारण यह है कि यहाँ रहकर शिक्षा ग्रहण करने वाले दो ब्रह्मचारी युवक कोरोना संक्रमित हो गए हैं तथा एक का ईलाज उज्जैन में तथा दूसरे का इंदौर में चल रहा है।
वैसे तो इस साल सभी धर्मों का त्यौहार कोरोना संक्रमण के खतरे से प्रभावित रहे हैं। हाल ही में संपन्न हुए ईद और रक्षाबंधन जैसे बड़े त्यौहारों की खुशियाँ भी वैश्विक महामारी की भेंट चढक़र रह गई। अब अगले बुधवार 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आ रहा है। इस अवसर पर पुराने शहर के श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर और फ्रीगंज के छोटा गोपाल मंदिर में हर साल जन्मोत्सव के आयोजन होते हैं। मंदिरों को दो-तीन दिन पहले ही रंगाई-पुताई करने के बाद आकर्षक विद्युत सज्जा से सजा दिया जाता है। इसी तरह करीब एक दशक पहले भरतपुरी में बने इस्कॉन मंदिर में भी जन्माष्टमी के अवसर पर बड़े धार्मिक आयोजन होते हैं। यहाँ पर्व की खुशियाँ एक सप्ताह पहले ही मनने लगती है लेकिन इस बार जन्माष्टमी के पूर्व 22 जुलाई से पूरा इस्कॉन मंदिर परिसर कंटेनमेंट ऐरिये में बदला हुआ है। मंदिर के पीआरओ पं. राघवदास के मुताबिक इसके पीछे कारण यह है कि मंदिर में रहकर शिक्षा ग्रहण करने वाले दो ब्रह्मचारी युवक कोरोना संक्रमित हो गए हैं। सबसे पहले एक ब्रह्मचारी 22 जुलाई को पॉजीटिव आया था, वहीं दूसरा 26 जुलाई को। इन कारणों के चलते पूरे मंदिर में कोविड-19 गाईड लाईन का पालन किया जा रहा है। मंदिर में किसी भी प्रकार का उत्सव या फिर बड़ा धार्मिक आयोजन और श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पूरी तरह रोक है। इन्होंने यह भी कहा कि अगर जन्माष्टमी के पहले स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन इस्कॉन मंदिर को कंटेनमेंट मुक्त करता है तो जन्माष्टमी उत्सव के आयोजन की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी।
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