नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्षी एकता की कवायद की जा रही है. 23 जून को पटना में विपक्षी एकजुटता के लिए बड़ी बैठक होने जा रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में एकला चलो की राह पर कदम बढ़ा रहीं बसपा प्रमुख मायावती का मन क्या बदलने लगा हैं. यह बात ऐसे ही नहीं कही जा रही है बल्कि बसपा के द्वारा बुधवार को जारी प्रेस नोट से ही संकेत मिल रहे हैं, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि बसपा की नजर विपक्षी एकता पर है.
बसपा प्रमुख मायावती ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर पार्टी नेताओं की बैठक की. इस दौरान बसपा नेताओं से मायावती ने 2024 के चुनाव को लेकर आगे का टॉस्क दिया है. साथ ही बसपा के द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि बीजेपी सरकार के कार्यकलापों व बदले राजनीतिक हालात और उससे निपटने के लिए विपक्षी पार्टियों की गतिविधियों पर पूरी नजर है.
मायावती ने यह बात ऐसे समय कही है जब 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक होने जा रही है, जिसमें सपा से लेकर कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी सहित करीब 16 विपक्षी पार्टियों के मुखिया शिरकत कर रहे हैं. नीतीश कुमार की अगुवाई में हो रही विपक्षी एकता में बसपा शामिल नहीं हैं. इतना ही नहीं विपक्षी एकता के लिए ममता बनर्जी से लेकर केसीआर और नीतीश कुमार मुहिम छेड़ रही है, लेकिन किसी भी नेता ने मायावती से औपचारिक और अनौपचारिक किसी भी रूप में संपर्क नहीं किया.
मौजूदा हालात पर विचार कर रहीं बसपा सुप्रीमो
हालांकि, मायावती पहले से ही कहती रही हैं कि अकेले चुनाव लड़ेगी, लेकिन मौजूदा परिदृश्य में जिस तरह से सियासी गतिविधियां जारी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि मायावती की नजर विपक्षी एकता पर है और उनके बयान को सियासी संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. बसपा की सियासत पर बारीकी से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद कासिम कहते हैं कि मायावती मौजूदा सियासी हालत को लेकर संजीदगी के साथ सोचने लगी हैं. मायावती कभी भी किसी के बयानों का समर्थन नहीं करती रही हैं, लेकिन अमेरिका में राहुल गांधी के द्वारा दिए गए बयानों का उन्होंने समर्थन ही नहीं किया बल्कि सुर में सुर मिलाती हुई नजर आई हैं.
पिछले कुछ दिनों से बीजेपी पर तेज कर दिया है हमला
पिछले कुछ दिनों से मायावती बीजेपी पर सीधा हमला बोल रही हैं जबकि इससे पहले तक कांग्रेस और बीजेपी को एक कठघरे में खड़ी करती रही हैं. कांग्रेस पर सीधे हमला करने से बच रही हैं और आज भी उन्होंने कांग्रेस को लेकर किसी तरह का कोई हमला नहीं बोला. कासिम कहते हैं कि पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी एकता की बैठक पर भी किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं किया है बल्कि उस पर नजर रखने की बात कह रही हैं.
इसका सीधा संकेत है कि मायावती गठबंधन को लेकर मानसिक रूप से तैयार हो रही हैं, क्योंकि उनकी पार्टी के नेता और सांसद भी चाहते हैं कि 2024 में बसपा गठबंधन कर चुनाव में उतरे. बसपा नेता जानते हैं कि अकेले चुनावी मैदान में उतरने से कोई सियासी फायदा नहीं होने वाला है बल्कि नुकसान होने की संभावना है. ऐसे में मायावती भी गठबंधन को लेकर अपने राजनीतिक नफे-नुकसान का आकलन कर रही होंगी.
2014 के आम चुनाव में खाता तक नहीं खुला था
बता दें कि बसपा अकेले चुनाव लड़कर सियासी हश्र देख चुकी है. 2014 में बसपा का खाता नहीं खुला था और 2022 में एक सीट पर सिमट गई है. ऐसे में बसपा 2019 में सपा के साथ गठबंधन कर 10 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. यूपी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव विपक्षी एकता की धुरी बनने की कवायद में जुटे हैं और अगर इसमें कामयाब हुए तो फिर मायावती अलग-थलग पड़ जाएंगी.
ऐसी स्थिति में अगर लोकसभा चुनाव होते हैं तो बसपा के लिए सियासी तौर पर झटका साबित हो सकता है, जिसके चलते ही माना जा रहा है कि मायावती गठबंधन और विपक्षी एकता पर नजर बनाए रखने की बात कह रही हैं.
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