नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात के 107वें एपिसोड में वोकल फॉर लोकल अभियान की सफलता के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि साथियों, भारतीय उत्पादों के प्रति यह भावना केवल त्योहारों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए. अभी शादियों का मौसम भी शुरू हो चुका है. कुछ व्यापार संगठनों का अनुमान है कि शादियों के इस सीजन में करीब 5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है. शादियों से जुड़ी खरीदारी में भी आप सभी भारत में बने उत्पादों को ही महत्व दें. और हां, जब शादी की बात निकली है, तो एक बात मुझे लम्बे अरसे से कभी-कभी बहुत पीड़ा देती है और मेरे मन की पीड़ा, मैं, मेरे परिवारजनों को नहीं कहूंगा तो किसको कहूंगा?
पीएम मोदी के रेडियो प्रोग्राम मन की बात की 10 बड़ीं बातें ये हैं:
- आप सोचिये, इन दिनों ये जो कुछ परिवारों में विदेशों में जाकर के शादी करने का जो एक नया ही वातावरण बनता जा रहा है. ये जरूरी है क्या? भारत की मिट्टी में, भारत के लोगों के बीच, अगर हम शादी ब्याह मनाएं, तो देश का पैसा, देश में रहेगा. देश के लोगों को आपकी शादी में कुछ-न-कुछ सेवा करने का अवसर मिलेगा, छोटे -छोटे गरीब लोग भी अपने बच्चों को आपकी शादी की बातें बताएंगे. क्या आप vocal for local के इस mission को विस्तार दे सकते हैं? क्यों न हम शादी ब्याह ऐसे समारोह अपने ही देश में करें? हो सकता है, आपको चाहिए वैसी व्यवस्था आज नहीं होगी लेकिन अगर हम इस प्रकार के आयोजन करेंगे तो व्यवस्थाएं भी विकसित होंगी. ये बहुत बड़े परिवारों से जुड़ा हुआ विषय है. मैं आशा करता हूं मेरी ये पीड़ा उन बड़े-बड़े परिवारों तक जरूर पहुंचेगी.
- मेरे प्यारे देशवासियो, आज 26 नवंबर हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं. आज के ही दिन देश पर सबसे जघन्य आतंकी हमला हुआ था. आतंकियों ने, मुंबई को, पूरे देश को, थर्रा कर रख दिया था. लेकिन ये भारत का सामर्थ्य है कि हम उस हमले से उबरे और अब पूरे हौसले के साथ आतंक को कुचल भी रहे हैं. मुंबई हमले में अपना जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूं. इस हमले में हमारे जो जांबांज वीरगति को प्राप्त हुए, देश आज उन्हें याद कर रहा है.
- मेरे परिवारजनों, 26 नवंबर का आज का ये दिन एक और वजह से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. 1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था. मुझे याद है, जब साल 2015 में हम बाबा साहेब आंबेडकर की 125वीं जन्मजयन्ती मना रहे थे, उसी समय ये विचार आया था कि 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाया जाए. और तब से हर साल आज के इस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं.
- साथियों, हम सभी जानते हैं कि संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा था. 1950 में संविधान लागू होने के बाद भी अब तक कुल 106 बार संविधान संशोधन किया जा चुका है समय, परिस्थिति, देश की आवश्यकता को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने अलग-अलग समय पर संशोधन किए.
- साथियों, यह भी बहुत प्रेरक है कि संविधान सभा के कुछ सदस्य मनोनीत किए गए थे, जिनमें से 15 महिलाएं थीं. ऐसी ही एक सदस्य हंसा मेहता जी ने महिलाओं के अधिकार और न्याय की आवाज बुलंद की थी. उस दौर में भारत उन कुछ देशों में था जहां महिलाओं को संविधान से वोटिंग का अधिकार दिया. राष्ट्र निर्माण में जब सबका साथ होता है, तभी सबका विकास भी हो पाता है.
- मेरे परिवारजनों,राष्ट्र निर्माण की कमान जब जनता-जनार्दन संभाल लेती है, तो दुनिया की कोई भी ताकत उस देश को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाती. आज भारत में भी स्पष्ट दिख रहाहै कि कई परिवर्तनों का नेतृत्व देश की 140 करोड़ जनता ही कर रही है. इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हमने त्योहारों के इस समय में देखा है. पिछले महीने ‘मन की बात’ में मैंने Vocal For Local यानी स्थानीय उत्पादों को खरीदने पर जोर दिया था. बीते कुछ दिनों के भीतर ही दिवाली, भैया दूज और छठ पर देश में चार लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है. और इस दौरान भारत में बने उत्पादों को खरीदने का जबरदस्त उत्साह लोगों में देखा गया.
- साथियों, जैसे ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की सफलता ही उसकी प्रेरणा बन रही है वैसे ही Vocal For Local की सफलता, विकसित भारत – समृद्ध भारत के द्वार खोल रही है।Vocal For Local का ये अभियान पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है. Vocal For Local अभियान रोजगार की गारंटी है. यह विकास की गारंटी है, ये देश के संतुलित विकास की गारंटी है. इससे शहरी और ग्रामीण, दोनों को समान अवसर मिलते हैं.
- मेरे परिवारजनों, हमारे युवा साथियों ने देश को एक और बड़ी खुशखबरी दी है, जो हम सभी को गौरव से भर देने वाली है. 2022 में भारतीयों के पेटेंट आवेदन में 31 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. इस शानदार उपलब्धि के लिए मैं अपने युवा साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
- मेरे प्यारे देशवासियो, आपको याद होगा कि कुछ समय पहले ‘मन की बात’ में मैनें भारत में बड़ी संख्या में लगने वाले मेलों की चर्चा की थी. तब एक ऐसी प्रतियोगिता का भी विचार आया था जिसमें लोग मेलों से जुड़ी फोटो साझा करें. संस्कृति मंत्रालय ने इसी को लेकर Mela Moments Contest का आयोजन किया था. आपको ये जानकार अच्छा लगेगा कि इसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया और बहुत लोगों ने पुरस्कार भी जीते.
- साथियो, गांव-गांव में लगने वाले मेलों की तरह ही हमारे यहां विभिन्न नृत्यों की भी अपनी ही विरासत है. झारखण्ड, ओडिशा और बंगाल के जन-जातीय इलाकों में एक बहुत प्रसिद्ध नृत्य है जिसे ‘छऊ’ के नाम से बुलाते हैं.15 से 17 नवम्बर तक एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ श्रीनगर में ‘छऊ’ पर्व का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में सबने ‘छऊ’ नृत्य का आनंद उठाया.