भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में 2024 तक 60 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता विकसित करने का टारगेट तय कर रखा है। टारगेट पूरा करने के लिए सरकार ने अधिकारियों को मिशन मोड पर लगा रखा है। वहीं करीब 5 लाख हेक्टेयर में प्रस्तावित 16 सिंचाई परियोजनाओं का काम 5 साल बाद भी पूरा नहीं कराया जा सका है। काम समय पर पूरा नहीं होने से जहां कुछ सिंचाई परियोजनाओं की लागत बढ़ी है, वहीं नहरों के निर्माण और बांध एक्सटेंशन के कारण भी इंजीनियर इन प्रोजेक्ट को पूरा कराने में असफल है। इन सिंचाई परियोजनाओं में 13 हजार करोड़ से ज्यादा का काम चल रहा है। उधर, इस लेटलतीफी पर कैग ने भी आपत्ति उठाई है।
ये प्रोजेक्ट, जिनके काम अधूरे
पांच साल में पूरी नहीं होने वाली सिंचाई परियोजनाओं में दीवानगंज मध्यम 37.07 करोड़, छापर तालाब नहर लाइनिंग 1.70 करोड़, बनेठा भोपाल 48.61 करोड़, सूरजपुरा मध्यम 70.61 करोड़, बसाढ़ डायवर्सन उमरिया 11.28 करोड़, पटपरिहा जलाशय 6.16 करोड़, धनवाही व्यपवर्तन 24.48 करोड़, भड़ारी जलाशय 6.28 करोड़,वनदेही जलाशय 16.48 करोड़ भी शामिल है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार सात ऐसे बड़े प्रोजेक्ट हैं जिनके काम अधूरे पड़े हैं। इनमें बाणसागर, इकाई की लागत 24,244.60 करोड़ रूपए है। वहीं सिंध परियोजना 2,044.92 करोड़ रूपए, पेंच परियोजना 2,544.57 करोड़ रूपए, कुंडलिया परियोजना 3,448.00 करोड़ रूपए, सम्राट अशोक सागर 110.15 करोड़ रूपए, सीप कोलार लिंक 137.21 करोड़ रूपए, सोनपुरा मध्यम 127.46 करोड़ रूपए की है, जिनका काम अधर में है।
परियोजनाओं की बढ़ गई लागत
सीएजी ने भी आपत्ति उठाते हुए सरकार से कहा है कि इनके कार्य समय पर पूरे कराए जाए। जिन परियोजनाओं की लागत में बढ़ोतरी हुई है, उनमें पेट्परिहा उमरिया 2.08 करोड़ तथा धनवाही व्यपवर्तन 12.65 करोड़ की लागत बढ़ी है। साथ ही तदनावर रतलाम से धमाना काछीबडोदा सड़क मार्ग का काम भी 5 साल में पूरा नहीं हो सका है। जल संसाधन विभाग के ईएनसी मदन सिंह डाबर का कहना है कि बाणसागर, कुंडलिया, मोहनुपर सिंध आदि बड़े प्रोजेक्ट हैं और इनमें एक्सटेंशन कार्य होने की वजह से कामपूरा होने में समय ज्यादा लग रहा है। खासकर नहरों के निर्माण में समय लगने के कारण देरी हुई है। इनमें से अधिकांश का कार्य इस साल तक पूर्ण करा लिया जाएगा।
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