नई दिल्ली। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर दर्ज अपनी एफआईआर में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy Chief Minister Manish Sisodia) को मुख्य आरोपित बनाया है। अपनी एफआईआर (FIR) में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि नई शराब नीति (new liquor policy) बनाने और उसको लागू कराने में शराब कंपनियों और बिचौलियों को शामिल किया गया है। मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगियों के द्वारा शराब लाइसेंसधारियों से कमीशन प्राप्त किया गया। सीबीआई ने इस घोटाले में करीब 16 लोगों को जांच के दायरे में रखा है। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि सिसोदिया सहित अन्य आरोपियों से भी जल्द पूछताछ की जाएगी।
सीबीआई ने बयान जारी कर कहा कि उसकी ओर से शुक्रवार सुबह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के निवास सहित उनसे जुड़े 7 राज्यों के 31 स्थानों पर छापेमारी की गई। यह छापेमारी दिल्ली, गुरुग्राम, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ, बेंगलुरु और अन्य स्थानों पर की गई। इसमें इस मामले से जुड़े कुछ दस्तावेज, लेख और डिजीटल रिकॉर्ड बरामद किए गए हैं। सीबीआई का कहना है कि आरोपितों के खिलाफ अभी जांच जारी है।
सीबीआई ने प्रारंभिक जांच में ही पाया है कि दिल्ली की नई आबकारी नीति बनाने में कई तरह की अनियमितताएं बरती गईं। आबकारी नीति में बदलाव करते समय कुछ लाइसेंस-धारकों को अवांछित लाभ पहुंचाने, लाइसेंस फीस को कम करने और माफ करने और लाइसेंस को बिना मंजूरी के विस्तार देने का कार्य किया गया है। इसके जरिए अवैध लाभ कमाया गया है और इसके लिए निजी पार्टियों ने अपने खातों में झूठी प्रविष्टियां दिखाई हैं ताकि अनियमितता करने वाले सरकारी अधिकारियों और उनके आकाओं को लाभ पहुंचाया जा सके।
एफआईआर में सीबीआई ने कहा है कि मनीष सिसोदिया ने अपने सहयोगियों अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे की मदद से शराब लाइसेंस-धारियों से कमीशन प्राप्त किया। आरोपित निजी शराब विक्रेता कंपनी इंडोस्पिरिट ने मनीष सिसोदिया के सहयोगी दिनेश अरोड़ा से जुड़ी कंपनी को एक करोड़ ट्रांसफर किए। अर्जुन पांडे ने एक बार विजय नायर की ओर से समीर महेंद्रु से लोक सेवकों को धन देने के लिए लगभग 2 से 4 करोड रुपए एकत्र किए हैं।
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