मुंबई। इरफान खान (Irrfan Khan) ऐसी शख्सियतों में से एक थे, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और सिनेमाई पर्दे पर दिखाए गए अभिनय से खुद को लोगों के दिलों में आज भी जिंदा रखा है. आज इस महान अभिनेता की 54वीं जयंती (Irrfan Khan 54th Birth Anniversary) है. इरफान खान भले ही आज हम लोगों के बीच नहीं हैं, लेकिन वह आज भी अपने फैंस की दिल की धड़कन बनकर धड़कते हैं.
इरफान खान (Irrfan Khan) को पहले कैंसर(cancer) हुआ और जब वह कैंसर (cancer) से ठीक होकर घर लौटे, तो 29 अप्रैल, 2020 को कोलन इंफेक्शन (colon infection) ने उनकी जान ले ली. इरफान खान (Irrfan Khan) का जाना उनके चाहने वालों को आज भी खलता है. इरफान खान (Irrfan Khan) हिंदी सिनेमा के एक ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने अपनी प्रसिद्धि को अपना अहंकार नहीं बनने दिया और हमेशा जमीन से जुड़कर रहे. इरफान खान (Irrfan Khan) ने अपने तीन दशक लंबे एक्टिंग करियर में कई सीरियल्स और कई फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘चंद्रकांता’, ‘जय हनुमान’, ‘श्रीकांत’, ‘किरदार’, ‘जस्ट मोहब्बत’ जैसे सीरियल्स और ‘पान सिंह तोमर’, ‘हिंदी मीडियम’, ‘लाइफ ऑफ पाई’, ‘जुरासिक पार्क’, ‘मदारी’, ‘द जंगल बुक’, ‘द लंचबॉक्स’, ‘डी डे’, ‘मकबूल’ जैसी कई हिट फिल्में शामिल हैं.
इरफान खान के एक्टिंग करियर के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो कभी एक क्रिकेटर भी रहे थे? एक महान अभिनेता बनने से पहले, इरफान का क्रिकेट में करियर बनाने का सपना था. हालांकि, उन्हें क्रिकेटर बनने के अपने सपने को गंवाना पड़ा, क्योंकि वह क्रिकेट के लिए 600 रुपये जमा करने तक की क्षमता उस वक्त नहीं रखते थे. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि साल 2014 में इरफान खान ने द टेलीग्राफ को एक इंटरव्यू दिया था. इस इंटरव्यू में उन्होंने उन संघर्ष के दिनों को याद किया था जब उन्हें बीसीसीआई द्वारा आयोजित कर्नल सीके नायडू ट्रॉफी (अंडर -23) में खेलने के लिए चुने जाने के बावजूद अपने क्रिकेट करियर को अलविदा कहना पड़ा था. रिपोर्ट के अनुसार, इरफान ने कहा था- मैं क्रिकेट खेलता था. मैं एक क्रिकेटर बनना चाहता था. मैं एक ऑल-राउंडर था और अपनी जयपुर की टीम में सबसे यंग था. मैं इसी में अपना करियर बनाना चाहता था. रिपोर्ट के अनुसार, अभिनेता ने आगे कहा था- कर्नल सीके नायडू टूर्नामेंट के लिए मैं सिलेक्ट हुआ था और उस समय मुझे पैसों की जरूरत थी. मुझे नहीं पता था कि किससे मांगूं. उस दिन मैंने फैसला किया कि मैं इसमें आगे करियर नहीं बनाऊंगा. मैं उस समय 600 रुपये भी नहीं मांग सकता था. जब मुझे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के लिए 300 रुपये चाहिए थे, तो मेरे लिए अरेंज करना मुश्किल था. मेरी बहन ने आखिरकार मेरे लिए बंदोबस्त किया. क्रिकेट छोड़ना एक सोच-समझकर लिया गया फैसला था. पूरे देश में केवल 11 खिलाड़ी हैं. अभिनेताओं में कोई सीमा नहीं है. अभिनय में उम्र की कोई सीमा नहीं होती, जितना मेहनत करोगे, उतनी कामयाबी मिलेगी. आप अपने खुद के हथियार हैं.