तेहरान (Tehran)। ईरान की सरकार (Iran Government) हिजाब ना पहनने वाली महिलाओं (women not wearing hijab) का मनोचिकित्सकों (psychiatrists) से इलाज करा रही है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, महिलाएं जितना नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, उतना ही सरकार उन पर सख्ती (punishment) कर रही है। ईरानी अभिनेत्री अफसाने बेयेगन (Iranian actress Afsane Beygan) को भी दो साल की निलंबित जेल की सजा सुनाई गई है, साथ ही हर हफ्ते मनोचिकित्सक के पास काउंसलिंग के लिए जाने का निर्देश दिया है। बता दें कि अभिनेत्री ने बीते दिनों अपनी कई तस्वीरें बिना हिजाब पहने सोशल मीडिया पर पोस्ट की थीं।
शवों को साफ करने की दी सजा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तेहरान की अदालत ने एक महिला को हिजाब नियमों का उल्लंघन करने पर मुर्दाघर में शवों की सफाई करने की सजा दी। दरअसल पीड़ित महिला बिना हिजाब के कार ड्राइव करते पकड़ी गई थी। बता दें कि ईरान की नैतिक पुलिस द्वारा प्रताड़ित करने पर हुई महसा अमिनी नामक युवती की मौत के बाद ईरान में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए थे और उस दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन किए थे।
महसा अमिनी की मौत के बाद बढ़ा हिजाब को लेकर विरोध
महसा अमिनी की मौत के बाद काफी संख्या में महिलाओं ने विरोध स्वरूप हिजाब पहनना बंद कर दिया है। यही वजह है कि ईरान सरकार इसके खिलाफ सख्त रुख अपना रही है। हाल ही में ईरान की एक अन्य अभिनेत्री अजदेह सामादी ने एक अंतिम संस्कार कार्यक्रम के दौरान हिजाब की जगह अपने सिर पर टोपी पहनी हुई थी। इसके चलते ईरान की अदालत ने अभिनेत्री को ‘समाज विरोधी व्यक्तित्व’ नामक बीमारी से पीड़ित बताकर उन्हें हर हफ्ते मनोचिकित्सक के पास इलाज के लिए जाने का निर्देश दिया था।
मनोचिकित्सकों ने भी उठाए सवाल
ईरान के मनोचिकित्सकों ने भी ईरान सरकार के इस तरीके पर सवाल उठाए हैं। ईरान के मनोचिकित्सकों को एक संगठन के अध्यक्ष गुलाम हुसैन मोहसेनी ईजी ने भी ईरान के शीर्ष न्यायाधीश को लिखे पत्र में अथॉरिटी पर मनोचिकित्सकों का शोषण करने का आरोप लगाया था। पत्र में ये भी कहा गया है कि ‘मनोरोग का पता लगाना मनोचिकित्सकों का काम है ना कि न्यायाधीशों का’।
महिलाओं को नौकरी से निकाला जा रहा
बता दें कि ईरान में हिजाब को लेकर इतनी सख्ती बरत रही है कि जो महिलाएं बिना हिजाब कार ड्राइव करते पकड़ी जाती हैं उनके वाहन को ही जब्त कर लिया जाता है। साथ ही कंपनियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह हिजाब ना पहनने वाली महिला कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दें। यहां तक कि हिजाब ना पहनने वाली महिलाओं को अस्पताल में इलाज देने से भी मना किया जा रहा है।
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