तेहरान (Tehran)। ईरान का राष्ट्रपति चुनाव (Iran’s presidential election) अगले सप्ताह दूसरे चरण में प्रवेश कर रहा है. चुनाव में सुधारवादी मसूद पेजेशकियन (Reformist Masoud Pezeshkian) और कट्टरपंथी (Radical) माने जाने वाले सईद जलीली (Saeed Jalili) टॉप दावेदार बनकर उभरे हैं. चुनाव में रिकॉर्ड कम मतदान दर्ज किया गया है, जिसमें किसी भी उम्मीदवार को बहुमत हासिल नहीं हुआ. यही वजह है कि चुनाव का रन-ऑफ अगले सप्ताह 5 जुलाई को होगा।
इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत के बाद ईरान को नए राष्ट्रपति का चुनाव करना पड़ रहा है. इसके लिए ईरान में 28 जून को मतदान हुआ था, जिसमें कुल 61 मिलियन मतदाताओं में 40 फीसदी ने ही मतदान किया था. 1979 की क्रांति के बाद से राष्ट्रपति चुनावों में सबसे कम मतदान दर्ज किया गया था।
मसलन, राष्ट्रपति चुनाव के बाद मतों की गिनती से पता चला कि सुधारवादी उम्मीदवार पेजेशकियन को 10.41 मिलियन वोट पड़े. वहीं सुप्रीम लीडर आयतुल्ला खुमैनी के समर्थक उम्मीदवार सईद जलीली ने 9.47 मिलियन वोट हासिल किए।
राष्ट्रपति चुनाव में अन्य उम्मीदवार भी मैदान में थे. इनमें सुधारवादी नेता के रूप में जाने जाने वाले मोहम्मद बाघेर गालिबफ (3.38 मिलियन वोट) और कट्टरपंथी माने जाने वाले इस्लामिक नेता मुस्तफा पूरमोहम्मदी (206,397 मिलियन वोट) राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो गए. इनके अलावा तेहरान के मेयर अलीरेजा जकानी और सरकारी अधिकारी आमित-हुसैन हाशेमी चुनाव से ड्रॉप कर दिए गए थे।
अब अगले चरण के लिए 5 जुलाई को मतदान होना है, जहां गालिबफ, जकानी और हाशेमी ने सुप्रीम लीडर के समर्थक उम्मीदवार जलीली के पक्ष में मतदान करने की मतदाताओं से अपील की है।
इब्राहिम रईसी के निधन के बाद हो रहा चुनाव
हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद अचानक चुनाव कराना आवश्यक हो गया था, जिसमें इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियन सहित सात अन्य लोगों की जान चली गई थी. यह चुनाव संवैधानिक रूप से नए राष्ट्रपति के चयन के लिए निर्धारित 50 दिनों की अवधि के भीतर होना था।
ईरान के चुनावों में कम हो रहे मतदान
कम मतदान का यह रुझान मार्च और मई में आयोजित संसदीय चुनाव में भी देखा गया था, जिसमें ईरान की 1979 की क्रांति के बाद से किसी भी प्रमुख चुनाव में सबसे कम मतदान हुआ था. अब, जैसे-जैसे रन-ऑफ नजदीक आ रहा है, सभी की निगाहें चुनाव के अंतिम परिणाम और ईरान के राजनीतिक हालात पर मतदाताओं के मतदान के संभावित प्रभाव पर टिकी हैं।
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