तेहरान। ईरान ने चाबहार रेल परियोजना से भारत को बाहर करने या फिर चीन के साथ डील होने के बाद भारत से किनारा करने से जुड़ी सभी ख़बरों को अफवाह और साजिश बताया है। ईरान ने स्पष्ट किया है कि भारत सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है और वह हमेशा चाबहार परियोजना का हिस्सा रहेगा। ईरान ने कहा कि एक भारतीय अखबार ने बिना चाबहार डील की शर्तों को पढ़ें एक गलत खबर प्रकाशित की, जिससे पूरी कन्फ्यूजन पैदा हुई है। चाबहार रेल परियोजना में भारत की जो भूमिका थी, वो पहले की ही तरह बरक़रार है।
ईरान के पोर्ट एंड मारिटाइम आर्गेनाइजेशन के फरहद मोंताजिर ने कहा कि ‘यह दावा पूरी तरह गलत है। उन्होंने बताया, चाबहार में निवेश के लिए ईरान ने भारत के साथ केवल दो समझौतों पर साइन किए हैं। एक पोर्ट की मशीनरी और उपकरणों के लिए और दूसरा भारत के 150 मिलियन डॉलर के निवेश को लेकर है। कुल मिलाकर उन्होंने स्पष्ट किया है कि चाबहार में ईरान-भारत के सहयोग पर किसी तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से बाहर कर दिया है। माना जा रहा था कि ऐसा ईरान-चीन के बीच होने जा रही 400 अरब डॉलर की डील का असर है।
गौरतलब है कि बीते हफ्ते ईरान के ट्रांसपोर्ट और शहरी विकास मंत्री मोहम्मद इस्लामी ने 628 किमी लंबे रेलवे ट्रैक को बनाने का उद्घाटन किया था। इस रेलवे लाइन को अफगानिस्तान के जरांज सीमा तक बढ़ाया जाना है। एक अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ईरान ने यह कहते हुए भारत को इस डील से बाहर कर दिया है कि भारत इसके लिए राशि नहीं दे रहा है। हालांकि ईरान ने इसका खंडन करते हुए कहा है कि भारत को चाबहार रेलवे प्रॉजेक्ट से बाहर करने का सवाल ही नहीं, हालांकि भारत की भूमिका इस डील में वह नहीं है जो कि इस रिपोर्ट में बताई गई थी। ईरान के ट्रांसपोर्ट और रेलवे विभाग के डेप्युटी मिनिस्टर सईद रसौली ने इन खबरों का खंडन करते हुए कहा है कि इन रिपोर्टों के पीछे कोई साजिश है। यह रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है।
मोदी की मौजूदगी में हुआ था चाबहार समझौता
साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान चाबहार समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था। इस पूरी परियोजना पर करीब 1.6 अरब डॉलर का निवेश होना था। इस परियोजना को पूरा करने के लिए रेल उपकरण बनाने वाली भारतीय कंपनी इरकान के इंजिनियर भी ईरान गए थे लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भारत इस रेल परियोजना पर काम शुरू नहीं कर पा रहा था। अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह के लिए छूट दे रखी है लेकिन उपकरणों के सप्लायर मिलने में काफी मुश्किलें आ रहीं हैं। बता दें कि चीन और ईरान के बीच जल्द ही 400 अरब डॉलर की एक बड़ी डील होने जा रही है जिसके तहत ईरान से सस्ते तेल के बदले चीन वहां मूलभूत ढांचे में निवेश करेगा। इसके तहत चीन ईरान की सेना को भी आधुनिक हथियार देगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved