नई दिल्ली. ईरान के राष्ट्रपति चुनाव (Iran presidential election) के शुरुआती नतीजों में कट्टरपंथी (Hardliner) सईद जलीली (Saeed Jalili) आगे चल रहे हैं, जबकि सुधारवादी मसूद पेजेशकियन (Reformist Masoud Pezeshkian) दूसरे नंबर पर हैं. ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए शुक्रवार को वोट डाले गए थे. जलीली को 10 मिलियन यानि 1 करोड़ से अधिक वोट मिले, जबकि पेजेशकियन को 4.2 मिलियन (42 लाख) वोट मिले.
एक अन्य उम्मीदवार, संसद के कट्टरपंथी स्पीकर मोहम्मद बाघेर कलीबाफ को लगभग 1.38 मिलियन वोट मिले हैं. शिया धर्मगुरु मुस्तफा पूरमोहम्मदी को 80,000 से अधिक वोट मिले हैं.
सुधारवादी बनाम कट्टरपंथी
चुनाव से पहले आए विभिन्न सर्वेक्षणों में कहा जा रहा था कि मुकाबला दो कट्टरपंथियों और एक सुधारवादी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बन सकता है. दावेदारों में दो दावेदार कट्टरपंथी हैं जिसमें पूर्व मुख्य परमाणु वार्ताकार सईद जलीली, मजलिस के अध्यक्ष और तेहरान के पूर्व मेयर मोहम्मद बाकर कलीबाफ (दोनों कट्टरपंथी) शामिल हैं जबकि कार्डियक सर्जन मसूद पेजेशकियन हैं को सुधारवादी माना जाता है.
चुनाव लड़ने के लिए 80 लोगों ने किया था आवेदन
मतदाताओं को तीन कट्टरपंथी उम्मीदवारों और हार्ट सर्जन, सुधारवादी पेजेशकियन के बीच चुनाव करना था. जैसा कि 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से होता आया है, महिलाओं और कट्टरपंथी बदलाव की मांग करने वालों को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है और मतदान पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त निगरानीकर्ताओं की कोई निगरानी नहीं थी.
बता दें कि राष्ट्रपति पद के लिए कुल 80 लोगों ने आवेदन दिया था. लेकिन बाद में सिर्फ छह नामों पर मुहर लगी. तीन बार संसद स्पीकर रह चुके अली लारीजानी ने भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए आवेदन दिया था लेकिन उनके नाम पर भी मुहर नहीं लगी.
कौन हैं सईद जलीली?
सईद जलीली राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग (NSC) के पूर्व सचिव रहे चुके हैं. वह देश के प्रमिुख परमाणु वार्ताकार रह चुके हैं. उन्होंने पश्चिमी देशों और ईरान के बीच परमाणु हथियारों को लेकर हुई बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी. परमाणु हथियार को लेकर उनका आक्रामक रुख रहा है. वे कट्टरपंथी खेमे के माने जाते हैं और अयातोल्ला खामेनई के काफी करीबी हैं. राष्ट्रपति पद के लिए इनका दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है.
यह मतदान ऐसे समय में हुआ है जब गाजा पट्टी में इजरायल-हमास युद्ध को लेकर मध्य पूर्व में व्यापक तनाव व्याप्त है. अप्रैल में, ईरान ने गाजा में युद्ध को लेकर इजरायल पर अपना पहला सीधा हमला किया था. इतना ही नहीं लेबनानी हिजबुल्लाह और यमन के हौथी विद्रोही जैसे मिलिशिया समूहों को भी ईरान हथियार देता है जो इस लड़ाई में इजरायल के खिलाफ जुटे हुए हैं.
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