मुंबई। खुदरा निवेशकों की सुरक्षा के लिए बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को कई नियमों में बदलाव किया है। खासकर आईपीओ और म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने वालों पर जोखिम घटेगा। सेबी ने आईपीओ के एंकर निवेशकों की निकासी सीमा और समय तय करने के साथ जुटाए फंड के सही इस्तेमाल का भी नियम बनाया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय (SEBI) के चेयरमैन अजय त्यागी की अध्यक्षता में हुई बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा आरंभिक सार्वजनिक निर्गम को लेकर रही। आईपीओ के लिए सबसे जरूरी माने जाने वाले एंकर निवेशकों की लॉक इन अवधि 30 दिन से बढ़ाकर 90 दिन कर दिया गया है, जबकि उनकी निकासी सीमा भी 50 फीसदी तक तय कर दी है।
आईपीओ से फंड जुटाने वाली कंपनियां अब सिर्फ 25 फीसदी इस्तेमाल इन-ऑर्गेनिक कार्यों में कर सकेंगी, जबकि 75 फीसदी राशि उन्हें कारोबार विस्तार में लगानी पड़ेगी। आईपीओ में 20 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले प्रवर्तकों की लॉक इन अवधि तीन साल से घटाकर 18 महीने कर दी है, जबकि 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी पर लॉक इन अवधि एक साल से घटाकर छह महीने हो गई है। इसी तरह, म्यूचुअल फंड योजनाओं को बंद करने से पहले फंड हाउस को यूनिट धारकों की अनुमति लेनी होगी। ये नियम एक अप्रैल, 2022 के बाद आने वाले आईपीओ पर लागू होंगे।
सेटलमेंट 60 दिनों के भीतर जरूरी
सेबी ने कहा कि अब कंपनियों को सेटलमेंट के लिए आवेदन कारण बताओ या अनुपूरक नोटिस मिलने के 60 दिनों के भीतर देना होगा। सेबी ने जनवरी 2019 में सेटलमेंट नियम लागू किया था। इसके मुताबिक, कोई गलती होने पर कंपनियां फीस भरकर सेबी के साथ उस मामले का निपटारा कर सकती हैं। इसमें कोई संशोधित सेटलमेंट है, तो उसे 15 दिनों के भीतर पूरा करना होगा। इसके तहत सभी भुगतान सिर्फ पेमेंट गेटवे से लिए जाएंगे।
विदेशी निवेशकों को मिलेगी पंजीकरण संख्या
सेबी ने विदेशी निवेशकों से जुड़े नियमों में भी बदलाव किया है। अब एफपीओ का पंजीकरण करते समय सामान्य जानकारियों के साथ विशेष पंजीकरण संख्या दी जाएगी। इससे निवेशक की ओर से डुप्लीकेट शेयर की मांग करने पर डीमैट के रूप में प्रतिभूतियों को जारी किया जा सकेगा। इस कदम से निवेशकों के लिए लेनदेन आसान हो जाएगा और उनकी सुरक्षा भी बढ़ेगी।
सेबी बनाएगा विशेष स्थिति फंड
जोखिम वाली संपत्तियों में पैसे लगाने के इच्छुक निवेशकों के लिए सेबी विशेष स्थिति फंड (SSF) लाएगा। इसका न्यूनतम कॉर्पस 100 करोड़ रुपये होगा, जबकि न्यूनतम निवेश 5 करोड़ और 10 करोड़ रुपये होगा। एसएसएफ को वैकल्पिक निवेश फंड (AIF) की ही एक कैटेगरी के रूप में उतारा जाएगा। ये फंड जोखिम वाली संपत्तियों में ही निवेश करेंगे।
आईपीओ में विदेशी निवेशकों ने लगाए 80 हजार करोड़
भारतीय आईपीओ बाजार को रफ्तार देने में इस साल विदेशी निवेशकों की बड़ी भूमिका रही। 2021 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) में कुल विदेशी निवेश 79,851 करोड़ रुपये रहा। विदेशी निवेशकों ने पिछले साल करीब 72 हजार करोड़ का निवेश भारतीय पूंजी बाजार में किया था।
सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विस लिमिटेड (CDSL) के अनुसार, कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ने पर विदेशी निवेशक पोर्टफोलियो (FPI) ने निकासी शुरू कर दी है। बावजूद इसके पिछले 10 साल से एफपीआई पूंजी बाजार में शुद्ध खरीदार बने हुए हैं।
2021 में भी एफपीआई 6.8 अरब डॉलर की निकासी के बावजूद 3.9 अरब डॉलर के शुद्ध खरीदार बने हुए हैं। इस साल बाजार में आए कुल आईपीओ में एफपीआई का निवेश 10.8 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले साल पूंजी बाजार का कुल निवेश 9.7 अरब डॉलर था। 65 कंपनियों ने आईपीओ से कुल 1.31 लाख करोड़ जुटाए हैं, जो 2017 के पिछले रिकॉर्ड से 74.6 फीसदी ज्यादा है।
बैंकों ने आईपीओ से रिकॉर्ड 2,600 करोड़ शुल्क लिया
शेयर बाजार में इस साल रिकॉर्ड आईपीओ का लाभ न सिर्फ कंपनियों और निवेशकों को मिला, बल्कि बैंकों ने भी शुल्क के रूप में मोटा धन कमाया। ब्लूमबर्ग के अनुसार, 2021 में आईपीओ से शुल्क के रूप में भारतीय बैंकों ने रिकॉर्ड 2,600 करोड़ रुपये कमाए हैं। यह 2017 के पिछले आईपीओ रिकॉर्ड से हुई कमाई का चार गुना है।
बैंकर का कहना है कि यह अब तक का सबसे ज्यादा शुल्क है। कोटक महिंद्रा कैपिटल के इक्विटी कैपिटल प्रमुख जयशंकर वेंकटरमन ने कहा, मेरे 30 साल के कॅरिअर में 2021 सबसे व्यस्त साल रहा। 2022 में इससे भी ज्यादा शुल्क मिलने की संभावना है, लेकिन ओमिक्रॉन के रूप में नया खतरा आने और महंगाई व ब्याज दरें बढ़ने की आशंका से बाजार प्रभावित हो सकता है।
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