नई दिल्ली: इजराइल-हमास के बीच वार जारी है. कतर में भारतीयों को मौत की सजा सुनाई गई है. अमेरिकी इकोनॉमी में उतार-चढ़ाव जारी है. इन सब घटनाओं का असर भारत पर भी दिख रहा है. इन घटनाओं के चलते निवेशकों में डर का माहौल है. खासकर विदेशी निवेशकों में. दरअसल इन घटनाओं की वजह है से विदेशी निवेशकों नें भारतीय शेयर बाजार से 20,300 करोड़ रुपए निकाल लिए है. इन घटनाओं के चलते अक्टूबर में भारतीय बाजार में बिकवाली हावी है.
क्रेविंग अल्फा के स्मॉलकेस प्रबंधक मयंक मेहरा के मुताबिक आगे चलकर एफपीआई के निवेश का प्रवाह फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों तथा वैश्विक आर्थिक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगा. वहीं साथ ही शॉर्ट टर्म में गल्बोल लेबल पर अनिश्चितता और अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते एफपीआई सतर्क रुख अपनाएंगे. हालांकि, भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि शेयरों और बॉन्ड में विदेशी निवेशकों का आकर्षण बनाए रखेगी.
सितंबर में भी हुई थी बिकवाली
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस महीने 27 अक्टूबर तक एफपीआई ने 20,356 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. इससे पहले सितंबर के महीने में भी विदेशी निवेशकों मे बिकवाली की थी. सितंबर में उन्होंने भारतीय शेयर बाजार से 14,767 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. विदेशी निवेशक मार्च से अगस्त तक इससे पिछले छह माह के दौरान लगातार भारतीय बाजार में पैसा डाल रहे थे. इस दौरान उन्होंने भारतीय शेयर बाजारों में 1.74 लाख करोड़ रुपये डाले थे.
इजराइल -हमास संघर्ष का दिख रहा असर
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक एवं प्रबंधक शोध के मुताबिक अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में भारी बढ़ोतरी इस सप्ताह एफपीआई की निकासी की प्रमुख वजह रही है. वहीं इजराइल हमास के बीच चल रही लड़ाई और उसके बाद कतर की घटना ने भी असर डाला. सोमवार को 16 साल में पहली बार 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल पांच प्रतिशत के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया है. श्रीवास्तव ने कहा कि इस वजह से एफपीआई भारत जैसे उभरते बाजारों से अपना ध्यान हटाकर अधिक सुरक्षित विकल्प अमेरिकी प्रतिभूतियों में निवेश कर रहे हैं.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार ने कहा कि इजराइल-हमास संघर्ष की वजह से भी बाजार में नकारात्मक धारणा बनी है. इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में एफपीआई का कुल निवेश एक लाख करोड़ रुपये रहा है. बॉन्ड बाजार में उनका निवेश 35,200 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. जानकारों के मुताबिक विदेशी निवेशक मुख्य रूप से वित्तीय और सूचना प्रौद्योगिकी शेयरों में बिकवाली कर रहे हैं.
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