इंदौर (Indore)। वल्र्ड हेपेटाइटिस-डे के मौके पर आज सेंट्रल और जिला जेल के कैदियों की विशेष जांच की गई। इंदौर में तीन साल में 400 मरीज हेपेटाइटिस, एमआईएस पोर्टल पर दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 400 मरीज गंभीर अवस्था में इलाज ले रहे हैं। आज जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष जांच शिविर लगाए जाएंगे।
असुरक्षित इंजेक्शन, संक्रमित खून, टैटू, गोदना, नाक, कान को छेदने में संक्रमित सूई का इस्तेमाल, असुरक्षित यौन संबंध जैसे कारणों से हेपेटाइटिस के संक्रमण को रोकने के लिए आज शहर में सभी सरकारी अस्पतालों में जांच मुहिम छेड़ी जा रही है। सेंट्रल और जिला जेल के कैदियों की जहां विशेष जांच की जा रही है, वहीं जिला अस्पताल, पीसी सेठी अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सिविल डिस्पेंसरी एवं संजीवनी क्लिनिकों पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए अभियान छेड़ा गया है। हेपेटाइटिस बी, सी, सिफलिस और एचआईवी की जांच नि:शुल्क की जा रही है।
वन लाइफ-वन लिवर
भारत सरकार द्वारा सुरक्षा और जागरूकता के लिए दिए गए निर्देश अनुसार वन लाइफ-वन लिवर थीम पर कार्यक्रम आयोजित किए जाना हैं, जिसके लिए आज हाईरिस्क ग्रुप की जांच की जा रही है। डॉ. अजय गुप्ता द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, ई एड्स की तरह असुरक्षित संबंधों, संक्रमित खून और इंजेक्शन के उपयोग से होता है, जिसमें शरीर में दर्द, पीलिया, पेट में पानी भर जाना, लिवर, भूख न लगना, पेट में सूजन आना, उल्टियां होना जैसे लक्षण सामने आते हैं, लेकिन प्रथम दृष्टया संक्रमण की पुष्टि नहीं होने के कारण इलाज में देरी होती है और मरीज लिवर सिरोसिस और कैंसर जैसी स्टेज पर पहुंच जाता है। इसके बचाव के लिए जन्म के समय ही बच्चों का टीकाकरण जरूरी है। वहीं गर्भवती महिलाओं को भी टीकाकृत किया जाना अनिवार्य किया गया है।
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