जांच समिति द्वारा प्राथमिक तौर पर होली के त्योहार पर निर्धारित प्रोटोकॉल के उल्लंघन के लिए मंदिर के अधिकारी कर्मचारी के साथ सुरक्षा एजेंसी सहित अन्य जिम्मेदारों को दोषी ठहराया गया है। मुंबई के फायर एक्सपर्ट नीलेश उकंडे द्वारा भी अग्नि दुर्घटना का मुख्य कारण अत्यधिक मात्रा में ज्वलनशील गुलाल को माना गया हैं। सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है।कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि अग्नि दुर्घटना के लिए विभिन्न स्तर पर लापरवाही पाई गई है। जिसमें प्रमुख रूप से होली त्यौहार के लिए मंदिर प्रशासन के ड्यूटीरत अधिकारी कर्मचारी द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाना, सुरक्षा एजेंसी की लापरवाही, अत्यधिक मात्रा में गुलाल का मंदिर में ले जाया जाना आदि है। उन्होंने बताया कि मंदिर प्रबंध समिति के निर्देशों के क्रियान्वयन में लापरवाही पर जिम्मेदार मंदिर प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी पर कार्रवाई की जाएगी। सुरक्षा एजेंसी को नोटिस जारी भी किया जा रहा है। अन्य जिम्मेदारों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। महाकाल मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए तीन सदस्यीय 4 दल द्वारा काशी विश्वनाथ, तिरुपति, शिर्डी साईं बाबा और सोमनाथ जैसे बड़े प्रमुख मंदिरों का भ्रमण कर वहां की विभिन्न पर्वों पर सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में अपनी रिपोर्ट देंगे। जिसमें उपयोगी सुझावों को महाकाल मंदिर में भी लागू किया जाएगा। मंदिर के सुव्यवस्थित संचालन और प्रमुख पर्वो के के लिए एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) भी तैयार की जाएगी। साथ ही प्रशासनिक दायित्वों का विभाजन भी किया जाएगा।
जांच समिति द्वारा की गई प्रमुख अनुशंसा:-
मंदिर में आधुनिक फायर अलार्म सिस्टम, स्मोक डिटेक्टर और फायरफाइटर सिस्टम लगाया जाए।
आवश्यक सुरक्षा उपकरणों और मानव संसाधनों की उपलब्धता कर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम हो।
व्यवस्थित पास सिस्टम डेवलप करना।
भस्म आरती के अतिरिक्त चलित भस्म आरती।
मंदिर के अंदर मोबाइल सहित सुरक्षा के दृष्टिगत हानिकारक सामग्रियों लिजाने पर पूर्णतः प्रतिबंध।
मंदिर में आपातकालीन मार्ग निर्धारित किया जाना।
रंग पंचमी पर्व पर मंदिर में प्रतीकात्मक होली इत्यादि सुझाव दिए गए हैं।