नई दिल्ली (New Delhi) । महज 15 महीनों में सेंसेक्स (Sensex) की 34% की उड़ान से निवेशक (Investors) अभी झूम ही रहे थे कि सोमवार की गिरावट ने उन्हें बहुत तगड़ा झटका दे दिया। बीएसई सेंसेक्स 2,222.55 अंक यानी 2.74 प्रतिशत लुढ़क कर एक महीने से अधिक के निचले स्तर 78,759.40 अंक पर बंद हुआ। चार जून को यह 2,686 अंक टूटा था। इसी तरह निफ्टी भी 662.10 अंक यानी 2.68 प्रतिशत का गोता लगाकर 24,055.60 अंक पर बंद हुआ। चार जून को आम चुनाव के नतीजों के बाद निफ्टी में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी। ऐसे में निवेशक क्या करें? शेयर मार्केट में पैसे लगाएं या दूर रहें? आइए विशेषज्ञों से समझें बाजार की चाल?
जानकारी के मुताबिक यह गिरावट अमेरिका में मंदी को लेकर दुनिया भर में चिंताओं, इजरायल और ईरान व अन्य मीडिल-ईस्ट देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर भू-राजनीतिक चिंताओं की वजह से है। चूंकि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर किसी भी तरह की चिंता नहीं है, ऐसे में खुदरा निवेशकों को अपने निवेश को लेकर घबराना नहीं चाहिए। हालांकि, एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा कि निवेशकों को इस बात पर सावधानी बरतनी चाहिए कि वे कहां निवेश करते हैं।
बाजारों में गिरावट का कारण क्या है?
विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में नौकरियों की नरम रिपोर्ट ने आगामी मंदी की आशंकाओं को हवा दी है, लेकिन वैश्विक बाजारों में कमजोरी गुरुवार को शुरू हुई थी। कथित तौर पर इजरायल द्वारा ईरान समर्थित तीन महत्वपूर्ण हस्तियों की हत्या के बाद मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और ईरान द्वारा जल्द ही जवाबी कार्रवाई की आशंकाओं ने दुनिया भर के बाजारों पर दबाव डाला है।
सोमवार को भी भरभरा गया अमेरिकी बाजार
शुक्रवार को यूरोपीय बाजारों में प्रमुख सूचकांकों में करीब 2.5% की गिरावट आई और सोमवार को कमजोरी के साथ खुले। जर्मनी में जीडीएक्स 2.95% की गिरावट के साथ खुला, जबकि फ्रांस में सीएसी 40 और यूनाइटेड किंगडम में एफटीएसई शुरुआती घंटों में क्रमश: 2.8% और 2.2% नीचे थे। जापान में निक्केई सोमवार को 12% से अधिक नीचे था, और दक्षिण कोरिया का कोस्पी कंपोजिट सूचकांक 8.8% नीचे था। सोमवार को अमेरिका में डॉऊ जोन्स भरभरा गया। इस इंडेक्स में 1033 अंक या 2.60 पर्सेंट गिरावट दर्ज की गई। इससे पहले शुक्रवार को इसमें 1.5% की गिरावट आई थी।
इस ग्लोबल गिरावट से बाजार में उतरने डरें या डटें
मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ भी गड़बड़ नहीं है और मौजूदा गिरावट का भारत में आर्थिक बुनियादी बातों से कोई लेना-देना नहीं है।एक प्रमुख म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर ने कहा, “इंडियन मार्केट के मामले में निवेशकों को इसे एक करेक्शन के रूप में देखना चाहिए, क्योंकि पिछले 12-15 महीनों में इनमें काफी उछाल आया है। लॉन्ग टर्म निवेशकों को चिंता नहीं करनी चाहिए और बाजार में बने रहना चाहिए।”
लार्ज कैप स्कीमों में धीरे-धीरे करें निवेश
विशेषज्ञों का कहना है कि यह लार्ज कैप स्कीमों में धीरे-धीरे निवेश करने का अच्छा समय है। हालांकि, निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। एक प्रमुख फंड हाउस के सीआईओ ने कहा, “चूंकि दुनिया भर में अनिश्चितता का माहौल है, इसलिए निवेशकों को केवल लार्ज कैप फंड या कंपनियों में ही निवेश करना चाहिए और मिड कैप और स्मॉल कैप फंड और इक्विटी से बचना चाहिए, क्योंकि वहां कुछ चिंताएं हैं।”
(डिस्क्लेमर: एक्सपर्ट्स की सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं, हमारे नहीं। यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)
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