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    डराकर, बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराना अपराध

  • December 06, 2020

    • राज्य सरकार लाने जा रही है म.प्र. धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020

    भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अब किसी को बहला-फुसलाकर, डरा-धमका कर विवाह के माध्यम से अथवा अन्य किसी कपटपूर्ण साधन से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा। ऐसा प्रयास करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। मध्यप्रदेश सरकार इस संबंध में म.प्र. धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 लाने वाली है। प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन कराने संबंधी प्रयास किए जाने पर प्रभावित व्यक्ति स्वयं, उसके माता-पिता अथवा रक्त संबंधी इसके विरुद्ध शिकायत कर सकेंगे। यह अपराध संज्ञेय, गैर जमानती तथा सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होगा। उप पुलिस निरीक्षक से कम श्रेणी का पुलिस अधिकारी इसका अन्वेषण नहीं कर सकेगा। धर्मान्तरण नहीं किया गया है। यह साबित करने का भार अभियुक्त पर होगा। जो विवाह धर्म परिवर्तन की नियत से किया गया होगा वह अकृत एवं शून्य होगा। इस प्रयोजन के लिए कुटुम्ब न्यायालय अथवा कुटुम्ब न्यायालय की अधिकारिता में आवेदन करना होगा।

    एक महीने पहले देनी होगी धर्म परिवर्तन की सूचना
    प्रस्तावित अधिनियम के अनुसार स्वतंत्र इच्छा से धर्म परिवर्तन की दशा में धर्म परिवर्तन की वांछा रखने वाले व्यक्ति तथा धार्मिक पुजारी या व्यक्ति जो धर्म परिवर्तन आयोजित करने का आशय रखता हो को, उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट को जहाँ धर्म परिवर्तन संपादित किया जाना हो, एक माह पूर्व घोषणा पत्र/सूचना पत्र देना बंधनकारी होगा।

    यह कहती है धारा-03
    प्रस्तावित म.प्र. धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम की धारा 03 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति दूसरे को दिगभ्रमित कर, प्रलोभन, धमकी, बल, दुष्प्रभाव, विवाह के नाम पर अथवा अन्य कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा उसका धर्म परिवर्तन अथवा धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं कर सकेगा। कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन किए जाने का दुष्प्रेरण अथवा षडय़ंत्र नहीं करेगा।

    आरोपी को करना होगा साबित
    कानून का सख्ती से पालन कराने और जांच सही तरीके से किए जाने के लिए बिल में प्रावधान किया गया है कि ऐसे मामलों की जांच सब इंस्पेक्टर रैंक से नीचे के पुलिस अधिकारी नहीं करेंगे। इतना ही नहीं, धर्मातंतरण नहीं किया गया है, यह साबित करने की जिम्मेदारी आरोपी की होगी। जो विवाह धर्म परिवर्तन की नियत से किया गया होगा, वह शून्य घोषित हो जाएगा। इसके लिए फैमिली कोर्ट में आवेदन करना होगा।

    10 साल तक की सजा का प्रावधान
    किसी भी व्यक्ति द्वारा अधिनियम की धारा 03 का उल्लंघन करने पर 1 वर्ष से 5 वर्ष का कारावास व कम से कम 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड होगा। नाबालिग, महिला, अजा, अजजा के प्रकरण में 2 से 10 वर्ष के कारावास तथा कम से कम 50 हजार रूपए अर्थदण्ड प्रस्तावित किया गया है। इसी प्रकार अपना धर्म छुपाकर ऐसा प्रयास करने पर 3 वर्ष से 10 वर्ष का कारावास एवं कम से कम 50 हजार रूपए अर्थदण्ड होगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन (2 या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर 5 से 10 वर्ष के कारावास एवं कम से कम 1 लाख रूपए के अर्थदण्ड का प्रावधान किया जा रहा है।

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