नई दिल्ली। भारत ने भीमा कोरेगांव घटना के अभियुक्त फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु के बारे में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं की आलोचना को खारिज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था या अधिकारी नाम नहीं लेते हुए मंगलवार को कहा कि स्टेन स्वामी के मामले में सभी कदम कानून के तहत ही उठाए गए। भारत में स्वतंत्र न्यायपालिका है तथा देश की राजनीति लोकतंत्र एवं संविधान पर आधारित है। मानवाधिकारों पर निगरानी रखने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आयोग हैं। स्वतंत्र मीडिया है और जीवंत व मुखर समाज है।
उल्लेखनीय है कि भीमा कोरेगांव में हुई हिंसक घटना के संबंध में फादर स्टेन स्वामी को गैर-कानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। 84 वर्षीय स्वामी का निधन सोमवार को मुंबई के एक निजी अस्तपाल में हो गया था। उच्च न्यायालय ने उनकी अंतरिम जमानत के लिए सुनवाई भी चल रही थी।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और यूरोपीय मानवाधिकार संस्था की ओर से मामले में मानवाधिकारों का उल्लेख करते हुए भारत की आलोचना की गई थी। देश की राजनीतिक और न्यायिक व्यवस्था पर अंगुली उठाई गई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस संबंध में कहा कि फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई थी। उनके खिलाफ जिस तरह के आरोप थे, उसके मद्देनजर उनकी जमानत न्यायालयों द्वारा खारिज की गई थी।
प्रवक्ता ने कहा कि भारत में सरकारी एजेंसियां कानून का उल्लंघन होने पर कार्रवाई करते हैं। ऐसी कार्रवाई अधिकारों की वैध कानून सम्मत गतिविधियों के खिलाफ नहीं होती। सरकारी एजेंसियां कानून की प्रक्रिया का कड़ाई से पालन करती हैं।
फादर स्टान स्वामी मृत्यु की परिस्थितियों के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि उनकी बीमारी के कारण मुंबई उच्च न्यायालय ने उन्हें निजी अस्पताल में चिकित्सा उपचार दिए जाने की अनुमति दी थी। उन्हें 28 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्हें हर संभव चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही थी। उनके स्वास्थ्य और चिकित्सा उपचार की न्यायालय निगरानी कर रहा था। रोग संबंधित जटिलताओं के कारण 5 जुलाई को उनका निधन हो गया। (एजेंसी, हि.स.)
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