उज्जैन। मुझे ऐतिहासिक और पौराणिक शहर उज्जैन आकर बेहद खुशी हुई है। यह विक्रमादित्य का महानगर है और हम विक्रम सम्वत को मानने वाले दुनिया के पहले देश नेपाल से आए हैं। विक्रम संवत हमारा राष्ट्रीय संवत है, जिसकी शुरुआत सम्राट विक्रमादित्य ने की थी। यह बात नेपाल दूतावास के राजनयिक रवींद्र जंग थापा ने पौराणिक फिल्मों का अंतरराष्ट्रीय महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर कही। इस अवसर पर फिजी गणराज्य का उच्च आयोग एचई जगन्नाथ सामल (उच्चायुक्त), नेपाल दूतावास रवींद्र जंग थापा और दीपक राज निरौला राजनयिक दक्षिण अफ्रीकी उच्चायोग की रामसेला एवलिन लेसोथो उच्च आयोग बोहलोकिमोरोजेल व मोत्सेलिसी बनार्डेटो फात्सिमो मोखोथो सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इन सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर इस फिल्म समारोह का भव्य शुभारंभ किया।
इस मौके पर भारत में नेपाल दूतावास के रविंद्र जैन थापा ने अपने उद्बोधन में कहा कि नेपाल एक बहुत ही खूबसूरत देश है। वहां फिल्म मेकिंग की अपार संभावनाएं हैं। फिल्मों के माध्यम से हम सांस्कृतिक आदान-प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ तथा मध्य प्रदेश शासन का धन्यवाद करते हुए कहा कि मेरे लिए यह बहुत ही गौरव की बात है कि मुझे इस फिल्म समारोह में आमंत्रित किया गया। अतिथियों का स्वागत महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज तथा विक्रम विश्वविद्यालय कार्य परिषद के अध्यक्ष राजेश सिंह कुशवाह ने किया। इसके उपरांत सभी अतिथियों महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ परिसर में प्रदर्शित भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केन्द्रित प्रदर्शनी आर्ष भारत का अवलोकन भी किया।
समारोह को संबोधित करते हुए अफ्रीकी देश लेसेथो देश कि राजनयिक मोत्सेलिसी बनार्डेटो फात्सिमो मोखोथो ने कहा कि लेसेथो और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध बहुत मजबूत है। इस तरह के फिल्म समारोह के माध्यम से हम चाहेंगे कि दोनों देश एक दूसरों की संस्कृतियों से परिचित हों। सिनेमा अपने आप को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। मैं उम्मीद करती हूं कि यह फिल्म समारोह दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने जैसा महत्वपूर्ण कार्य करेगा।
रामायण, महाभारत और गीता आज भी फिजीवासियों के दिल में : उच्चायुक्त सामल
फिजी गणराज्य का उच्च आयोग एच.ई. जगन्नाथ सामल (उच्चायुक्त) ने कहा कि भारत और फिजी का रिश्ता सदियों पुराना है। हमारे देश की आदि से अधिक आबादी भारतवंशियों की है। रामायण, महाभारत और गीता आज भी फिजी के भारतवंशियों के श्रद्धा के केंद्र में है। यह वह विरासत है जो हमारे पूर्वज इस देश से अपने साथ लेकर आए थे। भारतीय फिल्मों को लेकर उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी फिल्में विशेष कर बॉलीवुड की फिल्में फिजी में बेहद लोकप्रिय हैं। भारत के सहयोग से फिजी में बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ तथा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार व्यक्त किया।
महोत्सव के दूसरे दिन 9 फिल्मों का प्रदर्शन होगा, जिसमें भारतीय भाषाओं में ‘श्रीकृष्ण विवाह’, ह्यमहाभारत (1965), ‘श्रीकृष्ण अवतार(तेलगू), ‘कृष्ण लीला (बंगाली)’, ‘बलराम श्रीकृष्ण (गुजराती)’, ‘कृष्णा काबेरी (ओडिया)’ व ‘श्रीकृष्ण परूंथू (मलयालम)’ आदि शामिल हैं, जबकि विदेशी भाषाओं में ‘द लीप ऑफ द एंजल’ और मंगोलिया की ‘एबरेंस’ है। विदेशी फिल्में इंग्लिश सबटाइटल वर्जन के साथ दिखाई जायेगी।
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