इंदौर। इस शहर में अब एक नई पहल होने जा रही है, ताकि देश के सबसे साफ-सुथरे शहर की प्राणवायु हमेशा स्वच्छ व स्वस्थ रहे। इसके लिए वल्र्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई) एवं एन्वायर्नमेंट डिफेंस फंड (ईडीएफ) के सहयोग से साल 2025 तक क्लीन एयर प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। अहम बात यह है कि इस अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट के लिए पूरी दुनिया में दो देशों के सिर्फ दो शहरों का चयन किया गया है, जिनमें भारत का इंदौर और इंडोनेशिया का जकार्ता शामिल हैं।
विश्व में दो स्थानों पर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट ‘क्लीन एयर कैटेलिस्ट’ (सीएसी) परियोजना के तहत भारत के इंदौर तथा इंडोनेशिया के जकार्ता शहर का चयन किया गया। अंतरराष्ट्रीय संस्था यूएस-एड, वल्र्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई) एन्वायर्नमेंट डिफेंस फंड (ईडीएफ) के सहयोग से यह कार्यक्रम 2025 तक चलेगा। इसके प्रयोग के परिणाम और अनुभव से ही विकासशील देशों के शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने की रणनीति तय होगी। इस दिशा में विशेष रूप से वायु प्रदूषण को रोकने के लिए लोगों से ही जानकारी संकलित की जाएगी और उनकी रोकथाम के उपाय भी बताए जाएंगे।
व्यावसायिक नगरी इंदौर को देश का प्रगतिशील शहर माना
इंदौर एक व्यावसायिक नगरी है और यहां पर बहुत तेजी से विकास भी हो रहा है। विकास के दौर में यहां के हालात देश और दुनिया के किसी प्रदूषित शहर जैसे नहीं हों, इसलिए यहां पर विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन किया जाएगा। बहुत ही सूक्ष्म स्तर पर यहां पर जानकारी संकलित की जाएगी और अगले चरण में बताया जाएगा कि किस तरह से वायु प्रदूषण के स्तर को न्यूनतम रखा जा सकता है, जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित न हो।
बढ़ते प्रदूषण से जान का खतरा…शहर को बचाना मकसद
क्लीन एयर कैटेलिस्ट (सीएसी) प्रोजेक्ट के तहत बुधवार को आयोजित कार्यशाला में इंदौर और पीथमपुर के उद्योग जगत के लोगों से संवाद किया गया। कार्यशाला में सभी उद्योगपतियों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों व वायु प्रदूषण संबंधी विषय के विशेषज्ञों से जानने का प्रयास किया है कि किस तरह से इंदौर और उससे जुड़े हुए शहर को वायु प्रदूषण के स्तर को कम रखते हुए उससे होने वाले खतरों से मुक्त रखा जा सकता है। इस मौके पर वल्र्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजय नागपुरे ने तकनीकी और वैज्ञानिक तौर पर बताने का प्रयास किया कि वायु प्रदूषण, उसके दुष्प्रभाव के कारण मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है।
इस मौके पर डॉ. भार्गव ने कहा कि हमारा मकसद इंदौर और उसके आसपास के शहरों मेें वायु प्रदूषण के न्यूनतम स्तर पर रखना है, जिससे कि लोगों की सेहत पर असर नहीं हो। पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष डॉ. गौतम कोठारी ने बताया कि किस तरह से उद्योग जगत अपने स्तर पर वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्य कर रहा है। वहीं डॉ. दर्शन कटारिया ने जानवरों के मल से होने वाले वायु प्रदूषण के बारे में सटीक व तकनीकी बातें रखीं। कार्यक्रम का संचालन मेघा दुबे ने किया। आभार प्रोजेक्ट के वायु गुणवत्ता तकनीकी सलाहकार डॉ. दिलीप वाघेला ने माना।
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