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रोचक है चेन्नई की स्थापना की कहानी, आज है भारत के सबसे बड़े महानगरों में से एक

August 22, 2021

 

नई दिल्ली। आज भारत (India) में चार बड़े महानगर हैं, दिल्ली (Delhi), कोलकाता (Kolakata), मुंबई (Mumbai) और चेन्नई (Chennai). ये चारों शहर देश के उत्तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण हिस्से के प्रतीक हैं. इनमें से चेन्नई जो पहले मद्रास (Madras) के नाम से जाना जाता था, की स्थापना आज ही के दिन यानि 22 अगस्त के दिन हुई थी. आज से 382 साल पहले, 1639 में मद्रास को बसाने का काम अंग्रेजों ने यहां के एक किले में अपने बस्ती के रूप में शुरू किया था. जो धीरे धीरे बढ़कर यहां का एक प्रमुख शहर बना और बाद में चलकर पूरे दक्षिण भारत के महानगर के रूप में विकसित हो गया.

विजयनगर शासन का हिस्सा था आज का चेन्नई
मद्रास शहर दक्षिण भारत (South India) के पूर्व में कोरोमंडल तट के पास एक किले के रूप में सबसे पहले बसा जो बाद में फोर्ट सेंट जॉर्ज के नाम ने जाना गया. इसकी जमीन पर समय विजयनगर शासन का कब्जा था जिसने वहां सरदारों को नियुक्त किया था जो नायक कहे जाते थे.  नायकों का प्रांतों के अलग-अलग छोटे इलाकों में शासन था और वे लगभग स्वतंत्र थे.

पहले तीन मील जमीन का पट्टा
आज के चेन्नई (Chennai) इलाके में उस समय दामरला वेंकटादरी नायक नाम के सरदार का कब्जा था जब अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी यहां व्यापार करने आई थी. अंग्रेज उस समय एक अलग ही तट पर अपने बस्ती बसाने की कोशिश कर रहे थे. ईस्ट इंडिया कंपनी ने नायक से एक तीन मील लंबा जमीन का पट्टा हासिल किया जो मद्रासपट्टनम गांव का हिस्सा था जिसके लोग मछली पकड़ा करते थे.

22 अगस्त को हुआ करार
22 अगस्त 1639 को ईस्ट इंडिया कंपनी के फ्रांसिस डे, अनुवाद बेरी थिम्मप्पा और अधिकारी एंड्रयू कोगन ने जागीर के करार पर दस्तखत किए जिसके बाद से चेन्नई के निर्माण कार्य शुरू हुआ. फरवरी 1640 में डे और कोगन ने इस जमीन पर नई फैक्ट्री बनाई और वहां किला बनाना शुरू किया जो उन्हें दो साल के लिए मिली थी.


बड़े मद्रास की नींव
जागीर खत्म होने पर 1645 में नए राजा श्री रंगारायउलु ने नई जागीर जारी की जिसमें कंपनी को अपने संपत्ति बढ़ाने का अधिकार मिला और अब वे अतिरिक्त जमीन का हिस्सा ले सकते थे जिससे भविष्य के मद्रास की नींव बनी. अंग्रेजों ने अपनी बस्ती के इलाके की किलेबंदी कर दी थी जिसके बाद पुर्तगालियों और डच उपनिवेश भी आसपास आग गए थे.

जब कमजोर हुआ मद्रास
1646 में मीर जुमला की अगुआई में गोलकुंडा की सेना ने मद्रास पर कब्जा कर लिया और वहां के अधिकांश क्रिश्चियन निवासों और उनके साथी भारतीय समुदायों को गुलाम बना लिया. 17वीं सदी के अंत में प्लेग, नरसंहार, नस्ली हिंसा, ने मद्रास की जनसंख्या तेसी से कम कर दी और शहर एक तरह से नष्ट ही हो गया, लेकिन नए अंग्रेजी और यूरोपीय निवासियों ने इसे फिर से खड़ा किया.

बाहर हुए दूसरे यूरोपीय लोग
इसके बाद इस शहर पर फ्रांसीसियों और मैसूर के सुल्तान हैदर अली ने पहले एंग्लो-मैसूर युद्ध में हमला किया जिसमें अंग्रेजों ने शहर पर फिर कब्जा किया और अंततः फ्रासीसियों और डच आदि को बाहर कर दिया. 18वीं सदी में  मद्रास बंदरगाह का विकास हुआ जिसके बाद से यह शहर भारत और यूरोप का एक प्रमुख व्यापार केंद्र बन गया.

मद्रास से चेन्नई
पहले विश्व युद्ध के दौरान मद्रास ही एकमात्र भारतीय शहर था जिस पर जर्मनी ने हमला किया था. आजादी के बाद मद्रास तमिलनाडु राज्य की राजधानी बन गया और देश के चार प्रमुख महानगरों में से एक बन गया. 1998 में इसका नाम चेन्नई हो गया. यह नाम पास के शहर चेन्नईपट्टनम के नाम पर रखा गया था जिसे दामरला वेंकटादरी नायक ने अपने पिता दामरला चेन्नप्पा नायकउडु के सम्मान में रखा था.

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