भोपाल। साइबर फ्र ॉड के लिए बैंक खाते, सिम उपलब्ध कराने वाले गिरोह ने पुलिस की पूछताछ मेें चौकाने वाले खुलासे किए हैं। गिरोह के सदस्य पाकिस्तान के फैसलाबाद में बैठे व्यक्ति के लिए काम करते थे। सायबर ठगी के जरिये कमाई रकम को आरोपी एक एज के माध्यम से पाकिस्तान में बैठे युवक को भेजा करते थे। गिरोह के बैंक खातों में 22 मार्च से 11 अप्रैल के बीच 1 करोड़ 10 लाख रुपए जमा हुए हैं। इन तमाम बातों के खुलासे के बाद तमाम खूफिया एजेंसियां भी सक्रीय हो गई हैं। आरोपियों के मोबाइल फोन, ईमेल और लैपटॉप की बारीकी से जांच की जा रही है। सायबर अपराधियों की कॉल हिस्ट्री को भी पुलिस ने खंगाला है। डीसीपी क्राइम ब्रांच श्रतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि श्यामनगर, बरखेड़ा पठानी, गोविंदपुरा के रहने वाले हर्ष यादव (21) पुत्र लीला किशन यादव ने 22 मार्च को शिकायत की थी कि उसको दो हजार का लोन दिलाने के नाम पर रोहन एवं अमोल ने एटीएम कार्ड व बैंक खाते की डिटेल ले ली। इसके बाद जब लोन का पैसा खाते में नहीं आया, तो हर्ष ने अपने बैंक में जाकर जानकारी ली। जानकारी करने पर उसे पता चला कि पिछले 4 दिनों से खाते में करीब 19 लाख का लेन-देन हो चुका है। जब हर्ष ने अपना एटीएम वापस मांगा, तो दोनों जान से मारने की धमकी देने लगे। जिसकी शिकायत पर जांच शुरू की गई। तब पुलिस ने बरखेड़ा पठानी, गोविंदपुरा के रहने वाले भगवान सिंह ठाकु र (24), कटारा हिल्स के अमोल गोडगे (24), अरेरा कॉलोनी के अभिषेक परिहार, हबीबगंज के अंकित सिंह राजपूत, बेंतिया, बिहार के रहने वाले शिवम राजपूत (19) और आलोक कु मार (21) को गिरफ्तार किया। शिवम बैंक अकाउंट का बायनेंस अकाउंट वेरिफ ाई करता और खातों को मैनेज करता, जबकि आलोक बैंक अकाउंट में रूपए लेता, जिसे बायनेंस एप के माध्यम से पाकिस्तान के फैसलाबाद में ट्रांसफ र करता। भोपाल के रहने वाले सभी आरोपी लालच देकर बैंक खाता उपलब्ध कराते। डीसीपी ने बताया कि आरोपियों के मोबाइल में पाकिस्तानी दूरसंचार कंपनी का कंट्री कोड, वाइस नोट मिला है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा कि गिरोह का सरगना पाकिस्तान का हो सकता है।
बिहार से बैठकर भोपालियों को देते थे लालच
बिहार में बैठकर आरोपी शिवम और आलोक फेसबुक से भोपाल के युवकों को बैंक खाता उपलब्ध करवाने के एवज में पैसे देने का लालच देते। भोपाल में बैठे युवक लोगों को कई तरह का लालच देकर अपने जाल में फं साकर बैंक में खाता खुलवाते उसके बाद उसे वाट्सएप के जरिए या कोरियर के जरिए बिहार में बैठे जालसाजों को भेज देते। कई बार आरोपी खाता देने बिहार तक गए। इन खातों के बदले में 10 हजार रूपए लेते। आरोपी शिवम और आलोक बैंक खातों में मोबाइल नंबर लिंक कराने के लिए मोबाइल नंबर देते। कई भोपाल में बैठे आरोपी खुद मैनेज करते थे। इसके बाद आरोपी नेट बैंकिंग एक्टिव कर उसमें रूपए ट्रांसफ र कराते। धोखाधड़ी से मिले हुए रूपए को क्रिप्टोकरेंसी ऐप बायनेंस के जरिए पाकिस्तान भेज देते। आलोक ये तय करता कहां-कहां से बैंक खाते लेने है, उसके बाद वहां के लोगों से फेसबुक के माध्यम से दोस्ती करता।
पुलिस वाहन से फरार हुआ जालसाज धराया
मामले में 11 अप्रैल को क्राइम ब्रांच ने 6 आरोपियों को गिर तार किया था। जिसमें से 4 आरोपियों को ज्यूडिसियल रिमांड पर केंद्रीय जेल भोपाल ले जा रहे थे। तभी रास्ते में कोहेफि जा लालघाटी के पास रेड सिग्नल हुआ और मौका पाकर आरोपी अमोल भीड़ का फ ायदा उठाकर हथकड़ी से हाथ निकालकर भाग गया। इसके बाद आरोपी की तलाश के लिए पुलिस टीमें गठित की गई। पुलिस ने आरोपी के भाई अजय गोडगे से संपर्क किया, तो वो गुमराह करता रहा। इसके बाद उसके मोबाइल का सीडीआर चेक किया तो अलग-अलग नंबरों पर कई बार बात हुई थी। इसके आधार पर पुलिस ने आरोपी को इंदौर भोपाल बाईपास, सरकार ढाबा के पास जिला सीहोर से गिरफ्तार किया। आरोपी ने बताया कि वो मौका पाकर लालघाटी की तरफ पहाडिय़ों से भाग गया। इसके बाद अपने भाई से संपर्क किया और उसके साथ निकल गया। पुलिस ने अमोल के भाई को भी गिरफ्तार कर लिया है।
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