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    बीमा प्रीमियम की राशि में कटौती होने की उम्मीद, जीएसटी घटाने की संसदीय समिति ने की सिफारिश

  • February 08, 2024

    नई दिल्‍ली (New Delhi) । आपके बीमा प्रीमियम (insurance premium) की देय राशि में थोड़ी कटौती होने की उम्मीद जगी है। केंद्र सरकार (Central government) की एक संसदीय स्थाई समिति ने बीमा प्रीमियम पर वसूली जा रही जीएसटी (GST) की ऊंची दर को कम करने की सिफारिश की है। ‌वर्तमान में यह दर 18 फीसदी है। संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि बीमा उत्पादों पर वसूली जाने वाली जीएसटी को तर्कसंगत बनाया जाए। इनमें विशेष रूप से स्वास्थ्य और टर्म इंश्योरेंस पर इर को कम किए जाने की बहुत जरूरत है। कमेटी ने कहा कि ऊंची जीएसटी दर के कारण बीमा प्रीमियम ज्यादा हो जाता है।

    बीमा को और अधिक किफायती बनाने के लिए समिति ने कहा है कि स्वास्थ्य बीमा उत्पादों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए खुदरा बीमा और माइक्रो बीमा पॉलिसियों (जैसे पीएमजेएवाई के तहत निर्धारित सीमा तक, वर्तमान में 5 लाख रुपये) और टर्म पॉलिसियों पर लागू जीएसटी दरों को कम किया जा सकता है। समिति के अनुसार भारत में बीमा उद्योग ने हाल के वर्षों में गतिशील वृद्धि दिखाई है, वर्तमान सरकार की ओर से किए गए सुधारों के बाद कुल बीमा प्रीमियम में वृद्धि हुई पर भारतीय बीमा उत्पादों की पैठ अभी भी कम है।


    अभी तय करना है लंबा रास्ता
    2020 में वैश्विक बीमा बाजार में भारत का हिस्सा लगभग दो प्रतिशत था, ऐसे में भारतीय बीमा क्षेत्र को उन्नत देशों की अर्थव्यवस्थाओं के बीमा क्षेत्रों के समकक्ष आने के लिए अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। 2021 में भारत में कुल बीमा प्रीमियम में 13.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि वैश्विक कुल बीमा प्रीमियम में वर्ष के दौरान 9.04 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जीवन बीमा व्यवसाय में, भारत 2021 में दुनिया में नौवें स्थान पर रहा। गैर-जीवन बीमा व्यवसाय में, भारत दुनिया में चौदहवें स्थान पर है।

    बीमा उत्पादों को लाभकारी बनाने की आवश्यकता
    समिति के अनुसार, विभिन्न बीमा उत्पादों को लोगों के लिए लाभकारी बनाने की आवश्यकता है, न कि केवल जीवन बीमा को। कमेटी ने सुझाव दिया कि उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के बीमा उत्पादों, देश में कोविड परिवारों के दौरान भुगतान किए गए दावों, बाढ़ के दौरान बीमा दावों और विभिन्न घटनाक्रम से जुड़े दावों के बारे जागरूक करने के लिए एक अभियान शुरू किया जाना चाहिए। यह जागरूकता अभियान बीमा कंपनियों और इरडा द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किया जाना चाहिए और इसमें जीवन, स्वास्थ्य और सामान्य बीमा उत्पाद शामिल होने चाहिए।

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