जबलपुर। आदेश के कार्यान्वयन के लिए पत्र लिखने के बावजूद भी उसे चुनौती देते हुए अपील दायर करने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस पीके कौरव की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता पर एक लाख रूपये की कॉस्ट लगाई है। युगलपीठ ने बार काउसिंल को व्यवसायिक कदाचरण की जांच करने के निर्देश देते हुए पूछा है कि क्यों न उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया जाये, इस संबंध में एक सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये है। टीकमगढ के टैक्स अधिवक्ता निर्मल लोहिया ने एकलपीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गयी थी। दायर अपील में कहा गया था कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों की तरफ से टैरिफ संबंधित अपील को वापस करते हुए नई अपील दायर करने के संबंध में निर्देश जारी किये थे।
विद्युत अधिनियम की धारा 64 (3) के अनुसार विद्युत नियामक आयोग को सुनवाई के बाद को अपील को स्वीकार करेगा या अपील निरस्त करने का अधिकार है। आयोग को केवल निष्पक्षता से निर्णय लेने का अधिकार है, जबकि उन्होने टैरिफ संबंधित दायर अपील को वापस कर दिया। जिसके खिलाफ उन्होने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। एकलपीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि टैरिफ अपील की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर दी है। एकलपीठ ने अपने आदेश में निर्देश जारी किये थे कि याचिकाकर्ता की आपत्ति पर विचार करते हुए अंतिम निर्णय लिया जाये। उक्त आदेश की प्रति के साथ याचिकाकर्ता ने नियायक आयोग को पत्र लिखा था। नियामक आयोग को पत्र लिखने के बावजूद भी याचिकाकर्ता ने उसी आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दी। जिसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये।
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