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    ‘मन की बात’ के माध्यम से लोगों को स्वस्थ भारत की प्रेरणा

  • April 28, 2023

    – डॉ. विनोद के. पॉल

    स्वास्थ्य और विकास आपस में जुड़े हुए हैं- केवल स्वस्थ नागरिक ही किसी राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार इस आदर्श के लिए प्रतिबद्ध है और भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए अथक प्रयास किया है। प्रधानमंत्री हमारे लोगों के स्वास्थ्य में लगातार सुधार पर अत्यधिक जोर देते हैं और उन्होंने भारत की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्राथमिकता से संचालित कार्यवाही सुनिश्चित की है। सरकार ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए गहरे संरचनात्मक और निरंतर सुधार किए हैं और देश भर में सैचुरेशन लेवल का कवरेज प्राप्त करने के लिए अनुकूल रणनीतियों को भी लागू किया है।

    सरकार के सकारात्मक दृष्टिकोण से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है। आज, केवल बीमारों का इलाज करने के बजाय हेल्थ एंड वैलनेस दोनों पर ध्यान दिया जाता है। भारत के हेल्थकेयर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं शुरू की गई हैं। सरकार द्वारा वित्तपोषित दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कार्यक्रम-आयुष्मान भारत (एबी-पीएमजेएवाई), प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम), आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम), एक मजबूत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए), ई-संजीवनी ओपीडी और प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी), ऐसी कुछ पहल हैं, जो सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में चौतरफा परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए की हैं।


    2014 से (387 से 655 तक) मेडिकल कॉलेजों में 69 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रस्तावित 22 नए एम्स में से 19 चालू हैं। 35 करोड़ से अधिक नागरिकों का डिजिटल स्वास्थ्य खाता (आभा, एबीएचए) बनाया गया है। टेलीमेडिसिन के तहत ई-संजीवनी को मुख्यधारा ने अपनाया है और अब तक 11 करोड़ रोगियों ने इस सेवा का लाभ उठाया है। आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पहल के तहत, 156,000 उप-केंद्रों (एससी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में बदलाव आया है। एक नया मध्य स्तरीय स्वास्थ्य पेशेवर, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी तैनात किया गया है। उप केन्द्रों में एचडब्ल्यूसी को 105 दवाएं और 14 डायग्नोस्टिक परीक्षण प्रदान करना अनिवार्य है, और पीएचसी में वे 172 मुफ्त दवाएं और 63 मुफ्त डायग्नोस्टिक परीक्षण प्रदान करते हैं।

    सभी सरकारी योजनाओं का मूल्य केवल उनके अंतिम-मील तक वितरण के माध्यम से महसूस किया जाता है। इसके लिए सक्रिय स्वामित्व और लोगों की भागीदारी की आवश्यकता है। इस संबंध में, प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से जनता से जुड़ने के साधन के रूप में रेडियो की क्षमता का बेहतर उपयोग किया है, जिसका वर्षों से एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में व्यापक प्रभाव पड़ा है।

    इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्होंने बार-बार लोगों के बीच अच्छे स्वास्थ्य के विचार का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी का मानना है कि “स्वास्थ्य का अर्थ केवल रोगों से मुक्ति नहीं है। स्वस्थ जीवन हर व्यक्ति का अधिकार है।” उन्होंने विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ‘मन की बात’ का व्यापक रूप से उपयोग किया है और यह भी बताया है कि किस प्रकार उन्होंने देश भर में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों लोगों को लाभान्वित किया है।

    मुझे याद है कि प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ पर आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के साथ बातचीत की थी, जिन्होंने गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को किफायती बनाने के लिए आभार व्यक्त किया था। इस तरह की बातचीत कल्याणकारी योजना के लाभ प्राप्त करने में संभावित लाभार्थियों के विश्वास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे भारत के सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) को प्राप्त करने के सपने को बढ़ावा मिलता है। स्टेंट इम्प्लांटेशन और घुटने की सर्जरी की लागत कम करने और लगभग 10 करोड़ परिवारों को इलाज के लिए 5 लाख रुपये के बीमा के प्रावधान की प्रधानमंत्री की घोषणा दूर-दूर तक सुनाई दी। आज, आयुष्मान भारत योजना ने 4.8 करोड़ से अधिक व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की सुविधा प्रदान की है।

    जब केंद्र सरकार ने 2018 में ‘पोषण अभियान’ शुरू किया, तो प्रधानमंत्री ने बच्चों और माताओं के बीच पोषण संबंधी संकेतकों में सुधार के लिए जन आंदोलन का आह्वान किया। तब से, कई स्वयं सहायता समूहों और आंगनवाड़ी केंद्रों ने देश के बच्चों को कुपोषण और स्टंटिंग से मुक्त करने के लिए अद्वितीय और लक्षित समाधान खोजे हैं। जब असम से ‘प्रोजेक्ट संपूर्ण’ और मध्य प्रदेश से ‘पोषन मटका’ जैसी पहलों को लेकर ‘मन की बात’ में चर्चा की गई तो कई अन्य राज्यों के संगठनों ने अपने क्षेत्र में इसी तरह के मॉडल को दोहराया। इतना ही नहीं, इस तरह की मान्यता ने और लोगों का मनोबल बढ़ाकर उन्हें मौजूदा आंदोलनों में ला दिया।

    भारत में पारंपरिक चिकित्सा का एक लंबा इतिहास है, जो हजारों साल पहले का है। सरकार ने रोकथाम, कल्याण और उपचार में आयुष प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ का संवाद हमारी पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों के बारे में देशवासियों के बीच अभूतपूर्व जागरूकता पैदा करने में सहायक रहा है। इसने समग्र स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती मांग और आयुष उत्पादों के उपयोग में भारी वृद्धि में योगदान दिया है। स्वस्थ जीवन के बड़े उद्देश्य के लिए पारंपरिक और आधुनिक प्रणालियों के बीच तालमेल बैठाने के लिए अब मांग बढ़ रही है।

    कोविड-19 महामारी के दौरान ‘मन की बात’ का एक सशक्त राष्ट्रव्यापी प्रभाव देखा गया। मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग में लोगों के सहयोग से लेकर, फ्रंटलाइन वर्कर्स के प्रयासों को स्वीकार करते हुए, लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने तक, ‘मन की बात’ ने एक माध्यम के रूप में आशा, संकल्प और विश्वास के अग्रदूत के रूप में अपनी भूमिका साबित की है। प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी के विरुद्ध संघर्ष को लेकर राष्ट्रीय प्रत्युत्तर के लिए स्पष्ट मार्गदर्शन के साथ एक मजबूत और निर्णायक नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने उस कठिन समय में परिवार के देखभाल करने वाले बुजुर्ग के रूप में लोगों के साथ व्यक्तिगत संपर्क बनाने के लिए ‘मन की बात’ मंच का उपयोग किया।

    ‘मन की बात’ स्वस्थ भारत के लिए राष्ट्रीय एकता के निर्माण का सशक्त माध्यम बन गया है। जब प्रियंका प्रियदर्शिनी ने ‘मन की बात’ पर नि-क्षय मित्र के बारे में सुना, तो उन्होंने पांच रोगियों को स्वस्थ बनाने में उनका समर्थन करने के उद्देश्य से उन्हें गोद लिया!

    प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में टीबी से लेकर कालाजार तक और स्वच्छता से लेकर समग्र स्वास्थ्य से जुड़े कई विशिष्ट विषयों को छुआ है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के संवेदनशील मुद्दे पर भी बात की। प्रधानमंत्री ने इस ‘वर्जित’ विषय पर चर्चा की और लोगों को खुली बातचीत करने और कठिन मानसिक स्थिति में मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया।

    हाल ही में ‘मन की बात’ के एक एपिसोड में प्रधानमंत्री ने अंग प्रत्यारोपण की बात की। उन्होंने नागरिकों को अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए और अधिक अंगदान के लिए प्रेरित किया। दो परिवारों के साथ उनकी मार्मिक बातचीत, जिनके परिजनों ने दूसरों को जीवन देने के लिए अंगदान किया, मेरी आंखों में आंसू आ गए। लोगों को प्रधानमंत्री में एक दोस्त और एक मार्गदर्शक आवाज मिली है और जब वह ‘मन की बात’ के माध्यम से स्वास्थ्य संवर्धन और देखभाल की बात करते हैं, तो राष्ट्र वास्तव में सुनता है और कार्य करता है।

    (लेखक, नीति आयोग के सदस्य हैं।)

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