नई दिल्ली। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (दूसरा संसोधन) 2020 विधेयक राज्यसभा से शनिवार को ध्वनिमत से पारित हो गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया था।
वित्त मंत्री ने राज्यसभा में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड ( दिवाला और दिवालियापन) दूसरा संशोधन विधेयक 2020 पेश किया। इस पर चर्चा के बाद राज्यसभा ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (दूसरा संशोधन) अध्यादेश, 2020 को पास कर दिया।
निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान बताया कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (दूसरा संशोधन) अध्यादेश कोविड-19 की महामारी की वजह से पैदा हुई अभूतपूर्व संकट के कारण लाया गया था। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण वक्त की मांग थी कि तत्काल कोई ठोस कदम उठाए जाएं। इसके लिए अध्यादेश का तरीका चुना गया।
वित्त मंत्री ने कहा कि अध्यादेश को कानून बनाने के लिए सरकार अगले ही सत्र में इस विधेयक को लेकर आ गई। सीतारमण के जवाब के बाद उच्च सदन ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (दूसरा संशोधन) विधेयक 2020 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। वित्त मंत्री ने दिवाला और दिवालियापन शोधन अक्षमता कानून का जिक्र करते हुए सदन में कहा कि यह अच्छा काम कर रही है और अपने मकसद को पूरा करने में सफल रही है।
गौरतलब है कि इस साल जून, 2020 में सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) में कुछ बदलाव किया था। इस संसोधन के बाद कोविड-19 की महामारी से जिन कंपनियों ने डिफॉल्ट किया है, उन्हें कर्ज देने वाले बैंक अथवा कंपनी) आईबीसी ( कोर्ट) में नहीं घसीट सकते हैं। दरअसल केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए आईबीसीके सेक्शन 7, 9 और 10 को सस्पेंड कर दिया है, जो कि इस विधयेक के पास होने और कानून बनने पर उसकी जगह लेगा।
क्या है आईबीसी
आसान शब्दों में हम कह सकते हैं कि अपना कारोबार चलाने के लिए बैंक से कर्ज यदि आपने लिया है और लोन नहीं चुकाने की वजह से अगर आपको डर है कि कहीं आप पर आईबीसी के तहत कार्रवाई न हो जाए तो इसका इंतजाम सरकार ने कर कर दिया है। क्योंकि, अभी डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों की संख्या बहुत अधिक है। (एजेंसी, हि.स.)
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