मुंबई । रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) की मौजूदगी में समुंदर का सिकंदर कहे जाने वाले आईएनएस विशाखापत्तनम (INS Visakhapatnam) को भारतीय नौसेना (Indian Navy) के बेड़े में शामिल किया गया (Inducted) । यह रॉकेट लॉन्चर, जैविक-केमिकल अटैक प्रूफ ब्रह्मोस और बराक जैसी घातक मिसाइलों (Deadly missiles) से लैस (Equipped) है।
नौसेना के शीर्ष कमांडरों की मौजूदगी में शामिल किया गया यह मिसाइल विध्वंसक जहाज सभी आधुनिक तकनीकों से लैस है। आईएनएस विशाखापत्तनम का निर्माण स्वदेशी स्टील से किया गया है। इसके निर्माण में इस्तेमाल की गई 75% से अधिक सामग्री स्वदेशी है। यह करीब कुल 163 मीटर लंबा और 17 मीटर चौड़ा है। इसकी वहन क्षमता भी 7400 टन से अधिक है। इसमें 4 गैस टरबाइन इंजन लगाए गए हैं और यह अधिकतम 56 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से चल सकता है।
आईएनएस विशाखापत्तनम सभी तरह के हथियारों से लैस है। यह सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मध्यम और छोटी दूरी की बंदूकें, पनडुब्बी रोधी रॉकेट और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार प्रणालियों सहित घातक हथियारों और सेंसर से लैस है। इस जहाज पर दो हेलीकॉप्टरों को संचालित करने की क्षमता है। इस जहाज में जैविक और केमिकल हमले झेलने की भी क्षमता है। इसके अलावा यह एंटी शिप, ड्रोन, विमान और बैलिस्टिक मिसाइल का खात्मा करने में भी सक्षम है।
प्रोजेक्ट-15 बी के तहत इस जहाज का निर्माण किया गया है। साल 2011 में मौजूदा सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी और इसके लिए 35 हजार करोड़ की राशि मंजूर की गई थी। साल 2013 में आईएनएस विशाखापत्तनम पर काम शुरू किया गया था। विशाखापत्तनम के अलावा तीन और नामों मुरगांव, इम्फाल और सूरत पर भी आईएनएस का निर्माण किया जा रहा है।
मुंबई में आईएनएस विशाखापत्तनम को नौसेना में शामिल किए जाने के कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की परिभाषा की मनमानी तौर पर व्याख्या कर कुछ देशों द्वारा समुद्र के कानून को लगातार कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपना आधिपत्य जमाने और संकीर्ण पक्षपाती हितों वाले कुछ गैर-जिम्मेदार देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों की गलत व्याख्या कर रहे हैं।
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