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    इंडियन नेवी को अपनी सेवाएं देने को तैयारआईएनएस विक्रांत, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता होगी मजबूत

  • August 26, 2022

    इंडियन नेवी (Indian Navy) को बहुत जल्द ही आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) की सेवा मिलने लगेगी। एक ऐसे वक्त में जबकि चीन ( China) भारतीय समुद्री क्षेत्र ( Indian Maritime Area) में दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है, आईएनएस विक्रांत का आना काफी अहम हो सकता है। नौसेना के उपप्रमुख (Vice Chief of the Navy) वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे (Vice Admiral SN Ghormade) ने कहा कि स्वदेशी विमानवाहक पोत (Indigenous Aircraft Carrier) आईएनएस ‘विक्रांत’ के सेवा में शामिल होने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में शांति और स्थिरता (Peace and Stability) सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। घोरमडे ने कहा कि आईएनएस ‘विक्रांत’ को 2 सितंबर को कोच्चि में एक कार्यक्रम में नौसेना में शामिल किया जाएगा और इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करेंगे।


    आइए जानते हैं आईएनएस विक्रांत से जुड़ी खास बातें…

    पिछले साल 21 अगस्त से ही आईएनएस विक्रांत का अलग-अलग फेज में समुद्र में ट्रायल हो चुके हैं। करीब 45000 टन के इस समुद्री जहाज पर एविएशन से जुड़े ट्रायल भी होने हैं। हालांकि यह ट्रायल आईएनस विक्रांत के कमीशंड होने के बाद होंगे। फिलहाल भारत के पास केवल एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य है। इसे रशियन प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया था। भारतीय सेनाएं तीन एयरक्राफ्ट कैरियर चाहती हैं। इनमें दो नेवी के फ्रंट हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में तैनात रहेंगे। वहीं तीसरे को स्पेयर में रखा जाएगा।

    आईएनएस विक्रांत भारत में तैयार किया गया सबसे बड़ा युद्धपोत है। आईएनएस विक्रांत का नाम इसके पूर्ववर्ती युद्धपोत पर रखा गया था, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी। गौरतलब है कि इसी दौरान बांग्लादेश आजाद हुआ था। नेवी के मुताबिक आईएनएस विक्रांत 1971 के युद्ध में मारे गए हमारे बहादुर सिपाहियों को श्रद्धांजलि है।

    आईएनएस विक्रांत 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। इसे नेवी के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड स्थित वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो में बनाया गया है। इस युद्धपोत के बनने के बाद भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। बता दें कि अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन, रूस चीन और फ्रांस ही वह देश हैं, जिन्होंने खुद का एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है।

    इस युद्धपोत पर करीब एक दशक से काम चल रहा है। इसको लेकर भारतीय रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच तीन चरणों में कांट्रैक्ट हुआ है। इसकी शुरुआत 2007 से हुई थी। शिप के निचला हिस्सा फरवरी 2009 में बनाया गया था आईएनएस विक्रांत पर मिग-29 के फाइटर जेट और हेलीकॉप्टरों समेत 30 एयरक्राफ्ट रखे जा सकेंगे। इसमें एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट शामिल हैं। शुरुआती चरण में इस पर मिग फाइटर्स और कुछ हेलीकॉप्टर्स रहेंगे।

    7. 262 मीटर लंबी और 62 मीटर चौड़े इस युद्धपोत पर 1600 क्रू रखे जा सकेंगे। इस बर बने कुल कंपार्टमेंट्स की संख्या 2200 होगी, जिसमें महिला अफसरों और सेलर्स के लिए स्पेशल केबिन भी रहेंगे। इस पर अत्याधुनिक मेडिकल सुविधाएं, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन और आइसोलेशन वॉर्ड भी मौजूद होगा। गौरतलब है कि चीन समुद्र में बहुत तेजी के साथ अपनी ताकत बढ़ा रहा है। हाल ही में श्रीलंका में चीन के समुद्री जहाज की तैनाती के बाद भारत की चिंताएं भी सामने आई थीं। ऐसे में आईएनएस विक्रांत का आना भारत की समु्द्री ताकत में इजाफा करेगा।

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