– गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट को सूर्यास्त के समय मार्मिक विदाई दी गई, अब लखनऊ की बनेगा शान, नदी किनारे संग्रहालय में रहेगा जीवंत
नई दिल्ली। देश और भारतीय नौसेना (Country and Indian Navy) की 34 वर्षों तक शानदार सेवा (Excellent service for 34 years) करने के बाद आईएनएस गोमती को रिटायर (INS Gomti retires) कर दिया गया। मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में एक भव्य और गंभीर कार्यक्रम में युद्धपोत को सूर्यास्त के समय मार्मिक विदाई दी गई। अब इसे लखनऊ में गोमती नदी के सुरम्य तट पर संग्रहालय के रूप में जीवंत रखा जाएगा।
आईएनएस गोमती का नामकरण गोमती नदी पर किया गया है। गोमती नदी प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश राज्य में बहती है, जो गंगा नदी की एक प्रमुख उपनदी है। गोमती को हिन्दू एक पवित्र नदी मानते हैं और भागवत पुराण के अनुसार यह पांच दिव्य नदियों में से एक है। गोमती राज्य के पीलीभीत ज़िले के माधोटांडा ग्राम के समीप स्थित गोमत ताल से शुरू होती है और राजधानी लखनऊ गुजरते हुए 960 किमी. (600 मील) का मार्ग तय करने के बाद गाज़ीपुर ज़िला में सैदपुर के समीप गंगा जी में विलय हो जाती है।
नौसेना प्रवक्ता विवेक मधवाल के अनुसार मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई में 16 अप्रैल, 1988 को तत्कालीन रक्षा मंत्री केसी पंत ने युद्धपोत को नौसेना में कमीशन किया था। गोदावरी क्लास गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट के अंतिम जहाज आईएनएस गोमती की डिजाइन नौसेना के डिजाइन निदेशालय ने तैयार की थी। मझगांव डॉक्स लिमिटेड (एमडीएल) ने स्वदेशी रूप से इसका निर्माण किया था। पश्चिमी बेड़े के इस सबसे पुराने योद्धा ने अपनी सेवा के दौरान ऑपरेशन कैक्टस, पराक्रम, इंद्रधनुष और कई द्विपक्षीय एवं बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यासों में भाग लिया है।
प्रवक्ता के अनुसार राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा में शानदार योगदान के लिए जहाज को 2007-08 में और फिर 2019-20 में यानी दो बार प्रतिष्ठित यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। जहाज के आखिरी कप्तान सुदीप मलिक रहे जिनके नेतृत्व में जहाज को अंतिम विदाई दी गई। परम्परा के अनुसार सूर्यास्त के बाद जहाज से ध्वज उतारने की रस्म पूरी की गई। इस मौके पर नौसेना की पश्चिमी कमान के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। इसके बाद युद्धपोत को औपचारिक रूप से उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग को सौंप दिया गया।
नौसेना से सेवामुक्त होने के बाद अब जहाज की विरासत को लखनऊ में गोमती नदी के सुरम्य तट पर स्थापित किए जा रहे एक ओपन एयर संग्रहालय में जीवित रखा जाएगा। यहां जहाज की कई सैन्य प्रणालियों और युद्ध अवशेषों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। नौसेना से इजाजत मिलने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे लखनऊ लाने का प्रयास शुरू कर दिया है।लखनऊ तक समुद्री मार्ग न होने से इसे अलग-अलग टुकड़ों में लाकर चुने गए स्थान पर असेंबल किया जाएगा।गोमती रिवर फ्रंट पर स्थापित होने के बाद इसे दर्शकों के देखने के लिए खोला जाएगा। इसके परिसर में एक रेस्टोरेंट के साथ ही पर्यटकों के लिए अन्य आकर्षण विकसित किए जाएंगे। (एजेंसी, हि.स.)
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