नई दिल्ली। बहुचर्चित पेगासस जासूसी मामले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति रवींद्रन आयोग ने 11 अहम सवालों पर अब जनता की राय मांगी है। राय देने के लिए 31 मार्च अंतिम तिथि है। इन सवालों में यह भी पूछा गया है कि क्या सरकारी जासूसी या निगरानी की सीमा रेखा तय की जाना चाहिए? यदि किसी की लगातार निगरानी की जाए तो क्या उसके लिए कोई शिकायत निवारण तंत्र होना चाहिए?
यह आयोग सुप्रीम कोर्ट ने गठित किया है। इस्राइली जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस पर मचे बवाल के बाद इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन इस जांच आयोग के प्रमुख हैं। आयोग में गुजरात के गांधीनगर के राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नवीन कुमार चौधरी, केरल के अमृता विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग पढ़ाने वाले प्रभारण पी और आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर अश्विन अनिल गुमस्ते शामिल हैं।
याचिका में जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए निजता के अधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। यह भी कहा गया है कि यह अत्याधुनिक जासूसी सिस्टम इस्राइल की कंपनी ने सिर्फ सरकारों और उनकी एजेंसियों को ही बेचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने अक्तूबर में जासूसी के आरोपों की जांच के लिए इस समिति का गठन किया था।
पेगासस एक स्पाईवेयर है, जो मोबाइल फोन में घुसपैठ कर पूरा नियंत्रण कर लेता है। इससे सऊदी अरब, पोलैंड, मैक्सिका, संयुक्त अरब अमीरात और भारत जैसे कई देशों में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और राजनेताओं की जासूसी के आरोप लग चुके हैं। इस मामले को लेकर संसद में भारी हंगामा मचा था और इसके बाद यह जासूसी कांड सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
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