भोपाल। उपचुनाव के महासमर में भाजपा, कांग्रेस, बसपा भले ही सर्व समाज के बलबूते पर चुनाव लडऩे का दावा करें लेकिन हकीकत यह है कि जातिगत फैक्टर हर जगह हावी है। चाहे टिकट वितरण हो या जीत-हार का गणित। हर पार्टी व प्रत्याशी जातिगत वोटों के आधार पर ही काम कर रहे हैं। इसी सिलसिले में प्रत्याशी अब निर्दलियों की मान-मनौव्वल में जुट गए हैं। खासकर भाजपा और कांग्रेस की कोशिश है कि वे अपने प्रत्याशी के पक्ष में निर्दलीयों को मना लें। गतदिनों मुरैना विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी राकेश मावई के समर्थन में पूर्व सीएम कमलनाथ की सभा में 2 निर्दलीय यूनिस खां और ओमप्रकाश गुर्जर ने चुनाव में बैठने का एलान किया। इन दो निर्दलीयों से कांग्रेस को मुस्लिम और गुर्जर वोट कटने का डर था। वहीं, दिमनी में कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र सिंह तोमर के समर्थन में ही कमलनाथ की सभा में गोंडवाना पार्टी के राजकुमार तोमर ने समर्थन देने का ऐलान किया। ये निर्दलीय भी कांग्रेस प्रत्याशी के सजातीय थे। इनसे इन्हें अपनी ही जाति का वोट कटने का डर था। वहीं जौरा में धनीराम कुशवाह नामक प्रत्याशी ने कांग्रेस के समर्थन में अपना फॉर्म वापस खींच लिया। मान-मनौव्वल का दौर अभी भी जारी है और 3 नवंबर को वोटिंग से ऐन पहले तक निर्दलियों को मनाकर समर्थन जुटाने की कवायद में अधिकांश पार्टियों के प्रत्याशी जुटे हुए हैं।
कहीं निर्दलीय पड़ रहे भारी
28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में छोटे-बड़े दलों व निर्दलियों सहित 355 प्रत्याशी मैदान थे। 5 प्रत्याशियों के हटने के बाद 350 प्रत्याशी मैदान में शेष हैं। अब भाजपा, कांग्रेस व बसपा से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी अपने-अपने समाज के लोगों को समर्थन में बैठाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। लेकिन उनके प्रयास विफल भी हो रहे हैं। मुरैना विस से निर्दलीय मैदान में कूदे राजीव शर्मा को इसी विस से चुनाव लड़ रहे रामप्रकाश राजौरिया ने समाज की पंचायत के माध्यम से मनाने की कोशिश की। लेकिन उनका प्रयास विफल हो गया। शर्मा कहते हैं कि मैं किसी व्यक्ति व पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं हूं। मेरा एक ही मानना है कि जनता किसी प्रत्याशी को नहीं अच्छे इंसान को चुने और मैं अपना स्व-मूल्यांकन कर चुका हूं। इसलिए चुनाव मैदान से हटने का कोई सवाल ही नहीं है।
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